Saturday, August 14, 2021

राव खेतसी कांधलोत

⚔🌞 *कटियो पण झुकियो नीं*🌞⚔

    *राव खेतसी कांधलोत*

✍🏻✒@अजयसिंह राठौड़ सिकरोड़ी

आपणी इण मरुधरा रै मांय ऐक सूं ऐक बधती सूरवीर हुया है जिका इण धरा री रिख्या खातर आपरी काया होम दी पण किणी आक्रांता री अधीनता नीं कबूली अर आपरै जींवता थका किणी मुगले नै सोरा सांसा आपणी इण धरा माथै कब्जो नीं करण दियौ अर लड़ता थकां सुरगां सिधाया।पण इतिहास रै मांय ऐड़ा घणकरा सूरवीर हुया है जिणनै पूरो मान सम्मान नीं मिलियो जिको बण नै मिलणो चाइजै हो।
ऐड़ा ही ऐक सूरवीर राव खेतसी कांधलोत री ऐतिहासिक वात आपरै निजर करूँ।।

बीकानेर थापना मांय महती भूमिका निभावण हाला रावत कांधलजी जिका आपरै भाई जोधाजी रै ऐक बौल माथै जोधाणों छोड़'र आपरै भतीज कुंवर बीकाजी ने नूवो राज ढबाय बीकाणों बणायो उणी रावत कांधलजी रा पोतरा अर राव अड़कमलजी रा बेटा राव खेतसी कांधलोत।

बेंया तो खेतसी आपरै बाप दादा रै साथ रैय उणरी देख रेख मांय घणा जुद्ध लड्या पण सगळी जानकारीयां नीं मिलै(राव लूणकरण री मदत सारू नारनोल री लड़ाई,सांगा कछावा री मदत सारू सेना लेय'र गिया, जोधपुर रै राव गांगा री मदत सारू गिया)आद घटनावां मांय खेतसी री महती भूमिका रैयी।अबै आपां सागी बात माथै आवां।

*भटनेर री बात*

रावत कांधलजी आपरै भाई अर भतीजों नै सब रा न्यारा न्यारा ठिकाणा बांध'र दिया जठै रा बै लोग सुतन्त्र मालक हा।खेतसी रै अधिकार मांय साहवा,भादरा, भटटू, भटनेर आद परगना हा,
पण भटनेर रावत कांधलजी री वीरगति रै पाछै हाथ सूं जांतो रैयो जिणरो मलाल राव खेतसी नै घणो हो अर बै भटनेर पाछो लेवण री जुगत मांय लाग्या रेंवता कैे कद भगवती राजी हुवै अर कद भटनेर ढाबां।इणी बगत भगवती री किरपा हुवी अर भटनेर रा ऐक क़ानूगो री भटनेर रै किलेदार माथै किणी बात माथै बिगड़ गयी जणा बो बेराजी हुय'र खेतसी खनै आयौ अर कैयो के हुं थांनै भटनेर दिरवाय सकूँ हूँ।
जद खेतसी बोल्या कै आ ही तो म्हूँ चावूं।पछै आपरै काका पूर्णमल जी अर ठावका आदमी साथै लेय नै भटनेर ढाबण खातर व्हीर हुया इणी बगत ऐक सिंघणी मुंडे मांय खोपड़ी दबाये आड़ी निसरी जणा साथ रा सुगणियां कैयो कै रावजी गढ़ तो सझसी पण आपनै ज्यादा दिन नीं रैयसी जद खेतसी बोल्या कै ऐकर ढाबां तो सही पछै री पछै देखी ज्यासी अर होवणी है सो होसी।
उठीने क़ानूगो रात री बगत भटनेर किले मांय सूं दीवार परियां जेवड़ा(रस्सीयां) लटकाय दिन्या जिणसूं खेतसी आपरै आदमीयां साथै किले मांय जाय बड़िया अर रात रा ही हमलों करनै मारकाट मचाय भटनेर ढबाय लीन्ही(आ बात विक्रम संवत 1581 री हुवणी चाइजै)अर घणा साल तणी भटनेर रा स्वामी रिया अर आपरौ राजपाट चलावता रैया।
विक्रम संवत 1591 मांय काबुल रै नवाब कामरान भटनेर लेवण री तेवड़ी।
अर भोत बड़ी अर बिकराल फौज लेय'र भटनेर माथै चढ़ आयौ।
कामरान री फ़ौज घणी बडी अर डरावणी ही जिका घणकरा काला भूत ज्यूँ हा, कइयों री आंख्या लाल लाल अर कइयों री भूरी।रात दिन दारू माय कचूच रेवणीया बड़ा बड़ा कानां र कुकर्मी जिण मांय कई तगड़ा निशानची अर कई कसाई हा इण तरां री घणी बिकराल लाखिणी फ़ौज लेय'र कामरान सतलज पार करनै भटनेर माथै चढ़ आयौ
घेरो घाल नै आपरौ आदमी भेज खेतसी नै कैवायो के हार माननै कामरान री बादशाहत कबूल कर गढ़ री कुंच्या उणने सुंप दे।आ सुणतां ई खेतसी घणा रीसाणा हुया अर कामरान रै आदमी ने दकालता थकां कैयो के म्हुं विधर्मी री दासता नीं मानूं अर म्हारै जींवता थकां उणने भटनेर रै खनै ई नीं आवण दयूं जा जाय'नै थारै सुल्तान ने कैय दे राव सीहा रो वंशज अर रावत कांधलजी रो पोतरो खेतसी तुर्क रै आगै कदै ई नीं झुके लो।

कटणों बडणों कोड सूं,सूरां झुकै न सीस।
मारण दुसमी मोकळा,रजवठ भरियो रीस।।1।।

इला न देवै आपरी,कदै न सीस झुकाय।
मुगला आगै सूरमों,खेतल यूं कहलाय।।2।।(अजय)

बीठू सूजा बी आपरै पन्दरा सोलह छन्द दूवा मांय खेतसी री घणी बड़ाई करी है अर कामरान साथै जुद्ध रो बरणाव करयो है।

अगराण न हालई उवरि अम्भ,वाहू असोस जिम तेवि बम्भ।
जडलग्ग साहि खेतसी जगड़ि, वइरॉ वराह चडियउ विडगडि।।308

मुमरिया देय पाखी भमेय, आडाविय तम्बू उतरेय।
खेतसी साम्हा.... खान,परठिया साहि आलमि प्रधान।।163।।

वाताउ वत कहियउ विचार,डड देहि नमिय लइ ध्रम्म द्वार।
अरड़क्कमल्ल सम्भम अबीह, सांभलिऐ कथिने खेतसीह।।164।।

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