--:चुरू चाल्या चांदी रा गोळा:--
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रावत कांधल रा पोता अर बाघजी रा बेटा हा बणीर जी ।जिणरा वंशज बणीरोत कांधल कहावै ।इणरा बेटा मालदेव जी आपरौ ठिकाणो ई.स. 1542 चुरू बणायो ।मालदेव जी रा वंसज कुशलसिंह जी हुया जिकां चुरू मांय ई.स. 1727 मांय गढ़ बणायो जिकौ इतिहास रे मांय इस्यो गढ़ है जिणरी सुरख्या सारू चांदी रा गोळा चालिया इण कारण घणो जगचावौ है।कुशलसिंह रे ही वंश मांय शिवजीसिंह(स्योजी सिंह)हुया जिका घणा सूरवीर अर सुतंत्रता प्रेमी हा ।शिवजीसिहं चुरू राज्य नै सुतन्तर घोषित कर'र बीकानेर रा विरोधी होग्या अर जद हाथी री सवारी करता जणा ढाल रो ओग करता जिकौ राजा महाराजा रे सिवाय दूजा कोनी कर सकता हा इण स्यूं बीकानेर महाराजा सूरतसिंह घणा विराजी हुया अर फौज लेय'र चाल्या हमलो कर नै चाडवास रो गढ़ ढाय दीन्यो मैणासर रा ठाकर रतनसी अर रायसी ने फांसी चढ़ाय दिन्या।पछै चुरू रो घेरो घालियो महाराजा सूरतसिंह रो डेरो निमडी धोरे कनै हो जद एक दिन महाराज दांतण करे हा उणी टेम शिवजीसिहं आपरी तोपां सूं निशानों लगाय गोळा चलाया जिण मांय स्यूं एक गोलों तो सूरतसिंह रे सामां अर दूजो एकदम नजीक आय पड़ियो जिण सूं डर'र महाराजा सूरतसिंह आपरी फौज लेय'र पाछा बीकानेर आयग्या पण मनडा मांय घणाविराजी हा इण हार रो खटको हरमेस बण्यो रेंवतो।
शिवजीसिहं आप खुद तोपां बणावता इणरी तोपां मांय शिव बाण तोप सगळी तोपां स्यूं तगडी अर घणी दूर तणी मार करती दूजी तोपां राम बाण लक्षमण बाण जेडा नावां री ई घणी तोपां हुंती।शिवजीसिहं दूजा सरदारां ने बी तोपां बणाय देवन्ता बीदासर रा उमेदसिह ने बी तोपां बणाय'र दीवी इण सूं बी महाराज सूरतसिंह घणा विराजी हा कैबत है कै महाराज सोंवता बगत पग भेळा कर सोंवता इण रो कारण सुराणा अमरचन्द महाराज नै पूछ्यौ जद सूरतसिंह कैयो कै पगां में चुरू अड़े है जद सुराणो महाराजा री आज्ञा स्यूं फौज लेय चुरू माथै चढ़ाई कीनी विक्रम संवत1871 भादवा नै बीकानेर री फौज अमरचन्द सुराणा रे नेतृत्व में चुरू माथै हमलो करियौ छव मिन्हा तांई लड़ायी चालती रैयी बीकानेरी फौज चुरू नै च्यारूं मेर सूं घेरयां रैयी गढ़ मांय नाज पाणी रा टोटा होवण लाग्या सीकर रा राव राजा चुरू खातर रासन पाणी भेज्यो पण बीकानेर री फौज रस्ता मांय ही लूट लियो गढ़ मांय तोपां रा गोळा बी खतम हुयग्या जणा नगरी रा लोगां आपरा धणी शिवजीसिहं री मदत सारू आपरा गैणा लाय'र दिन्या जिणनै गाळ'र गोळा बणाय तोपां स्यूं दागिया इणसूं अमरचन्द ने ठाव पड़ियो के गढ़ मांय गोळा बारूद खतम हुयग्यो है।
स्योजी सिंह री धाक सूं, भूपतिया हालैहः।
चुरू वाली निमडी ,चांदी रा चालैह।।
गढ़ मांय खावण ने रासन खतम बी हुयग्यो जद कांदा(प्याज) उबाल खांवता अर फौज रो मुकाबलो करता। इणी बगत मांय शिवजीसिहं री मौत हुयगी ।खेतडी ठाकर अभयसिंह बिचालै पड़या जणा शिवजीसिहं रा बेटा पिरथीसिहं गढ़ खाली कर नै जोधपुर गिया।
विक्रम संवत1871 मिंगसर बदि 1 रे दिन चुरू गढ़ माथै बीकानेर रो अमल होयग्यो जणा पछै महाराजा सूरतसिंह आप गढ़ मांय पधारिया नै जश्न मणाईज्यो।
ठाकर पिरथीसिंह बी ठाला बैठण हाळा नीं हा चुरू पाछो लेवण री जुगत मांय लाग्या रैया अर आपरा भाई बन्ध कड़वासर रा कानसिंह अर भाई हरिसिंह नै साथै लीया नरहड़ रा अल्फखां अर मोहम्मदखां नै फौज खर्च देय'र चुरू माथै हमलो करियौ साथै सगळा बणीरोत कांधल अमल करनै चढिया गढ़ मांयला गुसांईयां बी कांधला रो साथ दियो इण तरु अचाणचक हमलो कर'र विक्रम संवत 1874 कातिक री पूनम नै चुरू गढ़ माथै कांधलोत पिरथीसिंह पाछो अधिकार कर लिन्यो ।
बीकानेर महाराजा सूरतसिंह री आंख्या मांय कांधलोतां रा दो मोटा ठिकाणा चुरू अर भादरा घणा रड़कता हा अर दोन्या रा ई ठाकर तगड़ा सूरवीर अर सुतन्तर रैवणीया हा पण सूरतसिंह नै आ जँची कोनी जद सूरतसिंह रावत कांधल जी रो बीकाजी माथै करियोडो उपकार नै बिसराय गोरां (अंग्रेज) री अधीनता स्वीकार कर उण साथै मेलजोड़ कर लिन्यो।
अंग्रेजां साथै विक्रम संवत1875 मांय बीकानेर रो गठजोड़ हुयग्यो जद महाराजा सूरतसिंह चुरू खालसा करणै सारू अंग्रेजी सरकार सूं मदत मांगी जणा जनरल अलनर फौज लेय'र आयो चुरू रो घेरो घालियो ठाकरां पिरथीसिंह एक मिन्हा तांई डट'र मुकाबलो करियो पछेगढ़ मांय रासन पाणी अर गोळा बारूद खतम होवण स्यूं गढ़ खाली कर'नै रामगढ़ (जैपर राज्य) चल्या गिया।
प्रस्तुति:-अजयसिंह राठौड़ सिकरोडी
चुरू रा चूंगटया
जद बीकानेर महाराजा सुरतसिंघ अंग्रेजी सरकार री अधीनता लेय'र चुरू कांधलोतां स्यूं हथिया लीनी उण माथै शंकरदान जी सामौर चेतावनी रा चूँगटया घणा जगचावा है(बणीरोतो की स्मारिका से)
(१)बीको फीको पड़ गयो, बण गोरां हमगीर।
चांदी गोळा चालिया, आ चुरू री तामीर।।
(२)धोरे ऊपर नींबडी,धोरै ऊपर तोप।
चांदी गोळा चालतां,गोरां नाख्या टोप।।
(३)सीसौ नीठयां सांवतां, मत पड़िया मोळाह ।
चुरू चालै चाव सूं, चांदी रा गोळाह ।।
(४)चांदी चेपी तोपगळ, जंग कियौ जोधार।
झुक्यो न झगड़ा में जबर,स्योजी सो सिरदार।।
(५)नींबडी धोरै नाळता,आवै बे दिन याद।
जुल्मी राव बीकांण रो,गोरां हेत फिसाद।।
(६)चुरू चित कवियां चढ़ी,स्योजी सिंघ रे पाण।
जुल्मी राव बीकांण रा,घणा थकाया हाण।।
(७)इण स्योजी नै आज भी, चुरू रही चितार।
फेरयो राव बीकांण नै, चांदी गोळा मार।।
(८)लाजै पीढियां लारली, रे बीका बुधहीण।
गोरां खातर मारिया, सगा गिनायत सीण।।
(९)चुरू होसी चौगुणी, धीमां होसी धींग।
दोखीडा उस जावसी, ज्यूं सावण री भींग।।
(९०)कांधल अर बणीरसा,बणीरोत विकराल।
बीकै वंशज भांजिया, कर गोरां प्रतिपाल।।
(११)चुरू चखाई चासणी, फिरयौ फिरंगी फेर।
आखर अखियातां रह्या,भुंडज बीकानेर।।
(१२)बीदा अर बणीर भड़,टणका घण टण केत।
गोरां हित बीको लड़यो,चुरू रै रणखेत।।
(१३) जग जाहर चुरू जठै,काची रही न जेट।
साबत राखी सुतंत्रता ,संता सेठां पेठ।।
(१४)चुरू रो जस चंहु दिसा, सखरा जिण रा सेठ।
संत सती अर सूरमा, पहु मी ऊपर पेठ।।
(शंकरदान सामौर)
संकलन अर प्रस्तुति :-अजयसिंह राठौड़ सिकरोडी
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