Monday, November 5, 2018

चूरू किले का इतिहास

--:चुरू चाल्या चांदी रा गोळा:--
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रावत कांधल रा पोता अर बाघजी रा बेटा हा बणीर जी ।जिणरा वंशज बणीरोत कांधल कहावै ।इणरा बेटा मालदेव जी आपरौ ठिकाणो ई.स. 1542 चुरू बणायो ।मालदेव जी रा वंसज कुशलसिंह जी हुया जिकां चुरू मांय  ई.स. 1727  मांय गढ़ बणायो जिकौ इतिहास रे मांय इस्यो गढ़ है जिणरी सुरख्या सारू चांदी रा गोळा चालिया इण कारण घणो जगचावौ है।कुशलसिंह रे ही वंश मांय शिवजीसिंह(स्योजी सिंह)हुया जिका घणा सूरवीर अर सुतंत्रता प्रेमी हा ।शिवजीसिहं चुरू राज्य नै सुतन्तर घोषित कर'र बीकानेर रा विरोधी होग्या अर जद हाथी री सवारी करता जणा ढाल रो ओग करता जिकौ राजा महाराजा रे सिवाय दूजा कोनी कर सकता हा इण स्यूं बीकानेर महाराजा सूरतसिंह घणा विराजी हुया अर फौज लेय'र चाल्या हमलो कर नै चाडवास रो गढ़ ढाय दीन्यो मैणासर रा ठाकर रतनसी अर रायसी ने फांसी चढ़ाय दिन्या।पछै चुरू रो घेरो घालियो महाराजा सूरतसिंह रो डेरो निमडी धोरे कनै हो जद एक दिन महाराज दांतण करे हा उणी टेम शिवजीसिहं आपरी तोपां सूं निशानों लगाय गोळा चलाया जिण मांय स्यूं एक गोलों तो सूरतसिंह रे सामां अर दूजो एकदम नजीक आय पड़ियो जिण सूं डर'र महाराजा सूरतसिंह आपरी फौज लेय'र पाछा बीकानेर आयग्या पण मनडा मांय घणाविराजी हा इण हार रो खटको हरमेस बण्यो रेंवतो।
शिवजीसिहं आप खुद तोपां बणावता इणरी तोपां मांय शिव बाण तोप सगळी तोपां स्यूं तगडी अर घणी दूर तणी मार करती दूजी तोपां राम बाण लक्षमण बाण जेडा नावां री ई घणी तोपां हुंती।शिवजीसिहं दूजा सरदारां ने बी तोपां बणाय देवन्ता बीदासर रा उमेदसिह ने बी तोपां बणाय'र दीवी इण सूं बी महाराज सूरतसिंह घणा विराजी हा कैबत है कै महाराज सोंवता बगत पग भेळा कर सोंवता इण रो कारण सुराणा अमरचन्द महाराज नै पूछ्यौ जद सूरतसिंह कैयो कै पगां में चुरू अड़े है जद सुराणो महाराजा री आज्ञा स्यूं फौज लेय चुरू माथै चढ़ाई कीनी विक्रम संवत1871 भादवा नै बीकानेर री फौज अमरचन्द सुराणा रे नेतृत्व में चुरू माथै हमलो करियौ छव मिन्हा तांई लड़ायी चालती रैयी बीकानेरी फौज चुरू नै च्यारूं मेर सूं घेरयां रैयी गढ़ मांय नाज पाणी रा टोटा होवण लाग्या सीकर रा राव राजा चुरू खातर रासन पाणी भेज्यो पण बीकानेर री फौज रस्ता मांय ही लूट लियो गढ़ मांय तोपां रा गोळा बी खतम हुयग्या जणा नगरी रा लोगां आपरा धणी शिवजीसिहं री मदत सारू आपरा गैणा लाय'र दिन्या जिणनै गाळ'र गोळा बणाय तोपां स्यूं दागिया इणसूं अमरचन्द ने ठाव पड़ियो के गढ़ मांय गोळा बारूद खतम हुयग्यो है।

स्योजी सिंह री धाक सूं, भूपतिया हालैहः।
चुरू वाली निमडी ,चांदी रा चालैह।।

गढ़ मांय खावण ने रासन खतम बी हुयग्यो जद कांदा(प्याज) उबाल खांवता अर फौज रो मुकाबलो करता। इणी बगत मांय शिवजीसिहं री मौत हुयगी ।खेतडी ठाकर अभयसिंह बिचालै पड़या जणा शिवजीसिहं रा बेटा पिरथीसिहं गढ़ खाली कर नै जोधपुर गिया।
विक्रम संवत1871 मिंगसर बदि 1 रे दिन चुरू गढ़ माथै बीकानेर रो अमल होयग्यो जणा पछै महाराजा सूरतसिंह आप गढ़ मांय पधारिया नै जश्न मणाईज्यो।
ठाकर पिरथीसिंह बी ठाला बैठण हाळा नीं हा चुरू पाछो लेवण री जुगत मांय लाग्या रैया अर आपरा भाई बन्ध कड़वासर रा कानसिंह अर भाई हरिसिंह नै साथै लीया नरहड़ रा अल्फखां अर मोहम्मदखां नै फौज खर्च देय'र चुरू माथै हमलो करियौ साथै सगळा बणीरोत कांधल अमल करनै चढिया गढ़ मांयला गुसांईयां बी कांधला रो साथ दियो इण तरु अचाणचक हमलो कर'र विक्रम संवत 1874 कातिक री पूनम नै चुरू गढ़ माथै कांधलोत पिरथीसिंह पाछो अधिकार कर लिन्यो ।
बीकानेर महाराजा सूरतसिंह री आंख्या मांय कांधलोतां रा दो मोटा ठिकाणा चुरू अर भादरा घणा रड़कता हा अर दोन्या रा ई ठाकर तगड़ा सूरवीर अर सुतन्तर रैवणीया हा पण सूरतसिंह नै आ जँची कोनी जद सूरतसिंह रावत कांधल जी रो बीकाजी माथै करियोडो उपकार नै बिसराय गोरां (अंग्रेज) री अधीनता स्वीकार कर उण साथै मेलजोड़ कर लिन्यो।
अंग्रेजां साथै विक्रम संवत1875 मांय बीकानेर रो गठजोड़ हुयग्यो जद महाराजा सूरतसिंह चुरू खालसा करणै सारू अंग्रेजी सरकार सूं मदत मांगी जणा जनरल अलनर फौज लेय'र आयो चुरू रो घेरो घालियो ठाकरां पिरथीसिंह एक मिन्हा तांई डट'र मुकाबलो करियो पछेगढ़ मांय रासन पाणी अर गोळा बारूद खतम होवण स्यूं गढ़ खाली कर'नै रामगढ़ (जैपर राज्य) चल्या गिया।

प्रस्तुति:-अजयसिंह राठौड़ सिकरोडी

       चुरू रा चूंगटया

जद  बीकानेर महाराजा सुरतसिंघ अंग्रेजी सरकार री अधीनता लेय'र चुरू कांधलोतां स्यूं हथिया लीनी उण माथै शंकरदान जी सामौर चेतावनी रा चूँगटया घणा जगचावा है(बणीरोतो की स्मारिका से)

(१)बीको फीको पड़ गयो, बण गोरां हमगीर।
चांदी गोळा चालिया, आ चुरू री तामीर।।
(२)धोरे ऊपर नींबडी,धोरै ऊपर तोप।
चांदी गोळा चालतां,गोरां नाख्या टोप।।
(३)सीसौ नीठयां सांवतां, मत पड़िया मोळाह ।
चुरू चालै चाव सूं, चांदी रा गोळाह ।।
(४)चांदी चेपी तोपगळ, जंग कियौ जोधार।
झुक्यो न झगड़ा में जबर,स्योजी सो सिरदार।।
(५)नींबडी धोरै नाळता,आवै बे दिन याद।
जुल्मी राव बीकांण रो,गोरां हेत फिसाद।।
(६)चुरू चित कवियां चढ़ी,स्योजी सिंघ रे पाण।
जुल्मी राव बीकांण रा,घणा थकाया हाण।।
(७)इण स्योजी नै आज भी, चुरू रही चितार।
फेरयो राव बीकांण नै, चांदी गोळा मार।।
(८)लाजै पीढियां लारली, रे बीका बुधहीण।
गोरां खातर मारिया, सगा गिनायत सीण।।
(९)चुरू होसी चौगुणी, धीमां होसी धींग।
दोखीडा उस जावसी, ज्यूं सावण री भींग।।
(९०)कांधल अर बणीरसा,बणीरोत विकराल।
बीकै वंशज भांजिया, कर गोरां प्रतिपाल।।
(११)चुरू चखाई चासणी, फिरयौ फिरंगी फेर।
आखर अखियातां रह्या,भुंडज बीकानेर।।
(१२)बीदा अर बणीर भड़,टणका घण टण केत।
गोरां हित बीको लड़यो,चुरू रै रणखेत।।
(१३) जग जाहर चुरू जठै,काची रही न जेट।
साबत राखी सुतंत्रता ,संता सेठां पेठ।।
(१४)चुरू रो जस चंहु दिसा, सखरा जिण रा सेठ।
संत सती अर सूरमा, पहु मी ऊपर पेठ।।
(शंकरदान सामौर)
संकलन अर प्रस्तुति :-अजयसिंह राठौड़ सिकरोडी

Wednesday, October 31, 2018

राणा हिन्दवाणी(कविता)

: राणो हिन्दवाणी :-

   (हिंदवा सूरज महाराणा प्रताप )
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राणो हिन्दवाणी,
           हो सूरज हिन्दवाणी,

राणा उदयसिंह रो जायो,
        माता  जैयवन्त गोद खिलायो,
मायड़ भौम रो मान रखायो ,
               राणो हिन्दवाणी।।1।।

राणा हार कदै ना मानी,
              कोई हुयौ न इणरो सानी,
  होगी जग में अमर कहाणी,
                   राणो हिन्दवाणी।।2।।

अकबर दांव घणाई चलाया,
         जाळा भोत घणा है बिछाया,
पण जीत नहीं वो पाया,
                 राणो हिन्दवाणी।।3।।

राणो दर में नीं घबरायो,
            सूरो सांमै छाती आयो,
मुगल नै भोत घणो है छकायो,
                 राणो हिन्दवाणी।।4।।

अकबर सुतौ नींद में चमकै,
            राणो कालजिया में खमकै,
कठै सिर पर नीं आ धमकै,
                  राणो हिन्दवाणी।।5।।

रातुं नींदा मांहि जागै,
           पड़ै धरणी चक्कर   ख़ागै,
डर भोत घणो है लागै,
                   राणो हिन्दवाणी।।6।।

राजा मानसिंग नै बुलावै,
              बातां सगळी उणनै बतावै,
म्हानै डर घणो यो खावै,
                    राणो हिन्दवाणी।।7।।

करी भोत घणी है चढाई,
               राणो नाकां चणा चबाई,
आयौ सांमै खड़ग बजाई,
                    राणो हिन्दवाणी।।8।।

प्यारो चेतक इणरो घोड़ो,
             सरपट रण में ओ तो दौड़ो।
लारों दुस्मयां रो नीं छोड़ो,
                    राणो हिन्दवाणी।।9।।

राणो आजादी रो दीवानो,
           सिख्यो कोनी सीस  झुकाणो,
नाम अमर जग में  रखाणो,
                  राणो हिन्दवाणी।।10।।

ओ तो राठौड़ अजयसिंह गावै।
              गाथा महाराणा री सुनावै।
चरणां श्रद्धा फुल चढ़ावै,
                  राणो हिन्दवाणी ।।11।
रचयिता:-अजयसिंह राठौड़ सिकरोड़ी।।

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अजयसिंह राठौड़ सिकरोड़ी

रजपूती

-: रजपूती :--
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कठै गया बै जोध जबर,कठै गयी बा रजपूती।
हुवी हाण घणी इण जग में,जागो थै अब नींदा सूती।।

सूरां मांही हो नाम थारौ,
              रण मांही डंका बाजै हा।
हा वीर घणाही इण कुळ में,
               ज्यूँ शेर जंगल में गाजै हा।
हो जोर अणूतो हाथां में,
           रण भौम मे बोलै ही तूती।।1।।
कठै गया बै जोध जबर,
               कठै गई बा राजपूती।।

घर घर में पाबू परवाड़ा,
                  है घणा चावसूं गाईजै।
गायां री व्हार चढ़यो रण में,
                  जदै प्रणवीर कैवाईजै।
बोलेडो वचन निभावण नै,
                पगल्यां में नीं घाली ही जूती।।2।।
कठै गया बै जोध जबर,
                    कठै गईं बा रजपूती।।

हा जोर जबर जोधा तगड़ा,
                   रणबंका राठौड़ी सूरा ।
भाई जोधा री ढाल बण्यो,
              भतीज  रा करै सपना पूरा।
कमधज कांधल सा वीर कठै,
          जिकै प्रण निभायो मजबूती।।3।।
कठै गया बै जोध जबर,
                    कठै गईं बा रजपूती।।

जैमल पत्ता वीर कल्ला,
                इण कुळ में ही जाया हा

मरजाद भौम री राखण नै,
               घणा घमसाण  मचाया हा।
टूट पड्या मुगलां ऊपर,
          बै लाज रखण नै रजपूती।।4।।
कठै गया बै जोध जबर,
                    कठै गई बा रजपूती।।

राणा प्रतापसी  इण कुळ रा,
             हिन्दवाणी सूरज कहलाया।
बण हार नहीं मानी रण में,
             भाला मुगलों पर भळकाया।
अकबर भी पाछै रोयों हो,
           राणा री देख'नै रजपूती।।5।।
कठै गया बै जोध जबर,
                 कठै गई बा रजपूती।।

रणबन्को राठौड़ी कहीजै,
             वो जोधो दुर्गादास जबर।
जोधाणो राज बचावण नै,
        है  लीनी दिलली सूं टक्कर।।
रोटी भालै अणियां सेंकी,
       रख क्षात्र धरम री मजबूती।।6।।
कठै गया बै जोध जबर,
                    कठै गई बा रजपूती।।

सीस कटाणै रो टेम गयो,
            अब सिर जोड़ण री बारी है।
अस्त्र शस्त्र तो छोड़'र अब,
               पढ़णै लिखणै री धारी है।
होवै राज में भाग अपणो भी,
              मनड़ा में थै धारो मजबूती।।7।।
कठै गया बै जोध जबर,
                   कठै गई बा रजपूती।।

इण कुळ रो गौरव ऊँचो है,
                  सतवंती इणमै नारी है।
योग्यता घणी अब भी कुळ में,
                 आरक्षण बणी बिमारी है।
कैवे कमधज अजय सिकरोडी
         धरल्यो थै हिवड़ै मजबूती।।8।।
कठै गया बै जोध जबर,
                    कठै गई बा रजपूती।।

🌹🌹अजयसिंह राठौड़ सिकरोडी🌹🌹

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Saturday, October 20, 2018

श्री करणी उपासना

https://drive.google.com/file/d/0B0mFyhK5qzdGdUJ1MlFmZWdvcThkWDhxQWtMRFRHWGp1U3Fn/view?usp=drivesdk

Monday, September 24, 2018

राव बणीर कांधलोत राठौड़

-:बणीर जी कांधलोत री बात :-
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रावत कांधल जी रा बडा बेटा हा बाघ जी अर बाघ जी रा बेटा बणीर जी जद सारंग खान सूं कांधल जी रो बदलो लेवण सारू राठौड़ां रो सगळो कडूम्बो अर भाईबन्ध भेळा होय बड़ी भारी फौज लेय'र हंसार रै फौजदार सारंग खान माथै चढ़ाई किणी जद सारंग खान बी सामों फौज करनै आयो गांव झांसल मांय दोनूं सेनांवां रो टकराव हुयौ अर सारंग खान ने मार'र बाघ जी बी सुरगां सिधाया ।पछे राठौड़ां रावत कांधल जी रो बदलो लेय घणा राजी होया अर साहवा मांय आय दाढ़ी बणवाय सोग रा कपड़ा उतार'नै राजसी वस्त्र पैरिया पछे रावत कांधल जी री पाग रो दस्तूर हुयौ उण टेम बणीर जी बाळी उम्र रा हा जिणसूं रावताई रो टीको इणां रे काकोसा राजसिंह जी ने दिरिज्यो।राजसिंह रे ठिकाणो राजासर ,अरडकमल जी रे साहवा अर बणीर जी रे ठिकाणो चाचावाद पांति आयो जिका पेल्यां ई कांधल जी आपरा बेटा रै बांध दिया हा।चाचावाद सूं आय बणीर जी साहवा रैया पछे आपरौ ठिकाणो मेलुसर बांध्यो अठे पाणी री घणी मारा मारी ही जणा बणीर जी मेलुसर मांय ऐक तळाव बणवायो जिकौ आज बी बणीर सागर रै नांव सूं जाण्यो जावै है।
मेलुसर रो ठिकाणो बणाय'र बणीर जी चायलों माथै चढ़ाई करनै उण नै मार भगाया अर आपरौ नूवों ठिकाणो घांघू बणायो अर घांघू मांय गढ़ बणवायो।बीकानेर री मदत सारू बणीर जी घणा जुध लड़िया बणीर जी रा च्यार ब्याव हुया उण मांय एक ब्याव री बात इण तरु बताईजै ।

बरसलपुर रा भाटी सिरदार आपरा रावला अर पशुओं नै लेय घांघू रे नजीक खारिया गांव री रोही मांय डेरा लगाय आपरा पशुओं नै चरावै जणा बणीर जी री घणी ख्याति सुणी भाटी सिरदार रे एक डीकरी ही उछरंगदे ।बणीर जी रो घणो नांव सुण राख्यो हो जद भाटी सिरदार सोच्यो कै बाई रो ब्याव बणीर जी रे बडा बेटा मेघराज सूं करदेवां तो आछौ रैवे आ मनडा मांय धार आपरी कुंवरी उछरंगदे रो नारेळ घांघू भेजीयो।उण टेम ठाकरां बणीर जी बूढ़ा हुयग्या हा अर घणो अम्ल तमाखू खाय खांसी मांय हलाडोब रेंवता हा जद भाटीयों रा पिरोयत नारेळ लेय दरबार मांय हाजर हुया उण टेम बणीर जी खांसी मांय घणा उलझेड़ा हा जद सिरदारां बणीर जी नै कैयो कै आपरा बेटा मेघराज खातर भाटियाँ सूं सगपण रो नारेळ आयो है तो बणीर जी हांस'र बोल्या भाई नारेळ तो जवानडां रो ई आवै बुढा रो कुण भेजे है।बणीर जी री आ बात उणरै बेटा मेघराज बी सुण ली ही जणा मेघराज पिरोयत जी सूं कैयो के ओ नारेळ आप म्हारैबापजी नै ई झिलावो जद पिरोयत जी बोल्या कै म्हारी बाईसा तो अजै टाबर है अर ऐ बुढा डोकर इणनै कुण आपरी बेटी देवैलो।
अबै बात घणी खींचताण री हुयगी भाटियाँ रो आयोडो नारेळ पाछो जावे तो राठौड़ो री घणी भुंड रै साथै ई भाटीयों रो बी अपमान ।मेघराज तो साव नाटग्यो के इण नारेळ माथै म्हारै दाता रो मन आयग्यो इणसूं इण नारेळ हाली तो म्हारी माव बरोबर ।जद आखर मांय पिरोयत जी बोल्या कै जै थां म्हारी बाईसा सूं होवण हाली औलाद नै टिकायत बणावण रो कौल करो तो म्हे म्हारी बाईसा रो ब्याव बणीर जी साथै करणनै राजी हा जद मेघराज ओ कौल करियौ के इणा सूं होवण हाळा बेटा नै म्हे म्हारा हाथां सूं घांघू री गदी माथै बिठाय तिलक करस्यूं।
मेघराज रे इण भांत कौल करिया पछे भटियाणी उछरंगदे बरसलपुरी रो नारेळ पिरोयत जी बणीर जी नै झिलाय'र ब्याव रो आछौ सो म्हूरत  देखनै दिन धरियो ।घांघू सूं विदायगी लेय पिरोयत जी गांव खारिया आय भाटियाँ रे डेरां हाजर होयनै सगळी बात बताय'र ब्याव री त्यारी करण रो कैयो सगळी बात समझ्यां पछे भाटी सिरदार बी घणा राजी होया ब्याव री त्यारियां हुयी बान तेल हुया मंगल गीत गाईज्या।
बणीर जी बारात लेय आया भटियाणी जी सूं ब्याव करनै पाछा व्हीर हुया।बणीर जी घोड़ा माथै हा अर अम्ल रो पुरो नशो करियोडो हो भटियाणी जी पालकी मांय खारिया सूं व्हीर हुय थोड़ीक दूर ई चाल्या हा कै च्यार पांच भेड़िया एक खाजरु नै मार'र बींरा मास रा लोथड़ा मुण्डा मांय दाब्यां घोड़ी रे आगू कर भाज'र निसरया जणा बणीर जी री घोड़ी बिदकगी।ठाकरां नशा मांय हलाडोब हुयौडा हा जणा साम्भल कोनी सक्या अर छाती घोड़ी री जीण री खुंटी सूं आय लाग्यी अर बणीर जी पड़'र बेसुध हुयग्या ।उणी टेम सुगनियां कैयो कै इण राणी सूं इतरा बेटा होसी इण भौम रै च्यारूं कानी उणरौ राज होसी ।राणी भटियाणी हुँस्यार ही बण आपरी पालकी आगै करवायी अर बाकी सगळा गेल्यां गेल्यां चाल्या ।
भटियाणी जी बणीर जी रो अम्ल कमती करणो सरू कियौ अर थोड़ो थोड़ो करतां करतां एकदम ई बन्द कर ठाकरां रो अम्ल छोडाय दीन्यो चौखो खाणो दाणो सरू कर बणीर जी नै पाछा डीलडौल सूं तगड़ा करलिया इण ठकुराणी भटियाणी जी सूं च्यार बेटा मालदेव ,अचलदास ,महेशदास अर जैतसिंह हुया। इणी मालदेव जी पछे आपरौ नूवों ठिकाणो आपरै जोर सूं चुरू बणायो अर घांघू रो ठिकाणो आपरै भाई अचलदास नै बगस्यो।बणीर जी बीकानेर री मदतसारू पन्दरा लड़ाया अर जुद लड्या ।
(१)जद बीकोजी जोधपुर माथै चढायी कीनी उण टेम बणीर जी बी आपरी जमीयत लेय'र गिया अर जीत'र आया ।
(२)जद बीकाजी मेड़ता री मदत मांय बरसिंघ ने अजमेर रा नवाब सूं छुडावण खातर अजमेर माथै चढायी कीनी उण बगत बी बणीर जी मदत नै गिया अर बरसिंघ नै छोडाय लाया।
(३)बीकाजी खण्डेला रा राव रिड़मल माथै हमलो करियौ जद बणीर जी बी दुजा कांधलोतां राजसी अर अरडकमल जी रे साथै आपरी फौज लेय बीकानेर री मदत सारू गिया अर जीत'र आया।
(4)बीकाजी जद खण्डेला रा राव अर हिन्दाल रा नबाब माथै व्हार कीनी जद बणीर जी भी मदत सारू गिया अर इण लड़ाई मांय हिन्दाल अर रिड़मल दोन्यू मारया गिया अर जीत राठौड़ां री हुवी।
(5)विक्रम संवत 1566 मांय जद राव लूणकरण ददरेवा माथै चढायी कीनी जद बणीर जी आपरै साथ सूं गिया इण लड़ाई मांय ददरेवा रो मानसिंह मारयो गियो अर बठै कब्जो राठौड़ां रो हुयग्यो।
(6)विक्रम संवत 1569 मांय बीकानेर राजा लूणकरण फतेहपुर माथै हमलों करियौ जणा बाकि राठौड़ां रै साथै बणीर जी भी मदत सारू गिया अर जीत्या।
(7)विक्रम संवत 1570 मांय जद नागौर रो नवाब बीकानेर माथै हमलों करियौ जद बणीर जी,राजसी,अरडकमल जी बगैरा सगला राठौड़ बीकानेर री मदत सारू गिया अर नवाब माथै व्हार चढ्या नवाब चोट खाय घायल हुये भाजियों अर जीत राठौड़ां री हुवी।
(8)जैसलमेर राव राठौड़ां रे चारण लालो जी महड़ू रो अपमान करियौ जणा चारण आय पुकार करी जद राव लूणकरण राठौड़ां नै लेय जैसलमेर माथै चढायी कीनी जद बणीर जी ,खेतसी साहवा,रावत किसनसिंघ राजासर,महेसदास सारूण्ड़ा ,सांगा बिदावत आद सिरदारां जैसलमेर रावल नै हराय पकड़ीया जणा जैसलमेर रावल लाला महड़ू सूं माफ़ी मांग राठौड़ां नै आपरी कन्यावां परणाय राजीपो करियौ।
(9)राव लूणकरण विक्रम संवत 1583 मांय नारनोल रा नवाब माथै चढायी कीनी जद बणीर जी,खेतसी,रावत किसनसिंघ आद भी मदत सारू साथै गिया पण बीदावत कल्याणमल दगो कर नै दुस्मयां सूं जाय मिलियो जिण सूं राव लूणकरण मारिया गिया आ लड़ाई ढोसी मांय हुयी।
(10)राव जैतसी रा भाणेज सांगा कछावा बीकानेर सूं मदत मांगी जणा बीकानेर कानी सूं बणीर जी,खेतसी,किसनजी,महेस सारूण्ड़ा,रतनसी महाजन आद फौज लेय गिया अर सांगा री मदत कीनी राठौड़ां री मदत सूं सांगा कछावा आमेर री घणी भौम ढबाय आपरै नांव सूं सांगानेर बणायो
(11)राव गांगा जोधपुर रा जद विक्रम संवत1585 मांय  बीकानेर राव जैतसी सूं मदत मांगी जद जैतसी मदत सारू गिया उण बगत बणीर जी,खेतसी कांधलोत,किसन जी राजासर,सांगा बिदावत,महेश मण्डलावत आद सिरदार साथै मदत सारू गिया अर जोधपुर राव गांगा इणरी मदत सूं विजयी हुया।
(12) विक्रम संवत 1591 मांय बाबर रो भाई कमरू(कामरान )भटनेर माथै बहोत बड़ी फौज लेय हमलों कियौ भटनेर रा स्वामी राव खेतसी आपरा थोड़ा सा रजपूतां नै साथै लेय'र  उणरौ मुकाबलो करियौ पण दुस्मयां री फौज घणी होवण सूं घणे सुरापण सूं लड़तां थकां वीरगति नै व्हीर हुया पाछै कामरान बीकानेर माथै चढायी कीनी जणा राव जैतसी मुगलां माथै आपरै थोड़ा सा रजपूतां साथै रातिवाहो कियौ जिणमें कामरान रा  घणा आदमी मारिया गिया कामरान राठौड़ां रो प्रबल वेग झाल नीं सक्यो अर डरतो भाग खड्यो हुयौ कैबत चालै कै मुगलों इतणो डरग्यो कै पाछो मुड़गे ही नीं देखियौ।इण लड़ायी मांय जैतसी री मदत सारू बणीर जी कांधलोत, किसन जी राजासर ,साईंदास पुत्र खेतसी कांधलोत, रतनसी महाजन,घड़सी, महेश सारूण्ड़ा आद सिरदार सामल हा।बणीर जी री इण जुध माय वीरता माथै बीठू सूजा भी राव जैतसी रे छन्द माय लिख्यो है।

"फरहरई फउरि फरि अफरि फुल।
ऊंचास अस्मि अरिखि अमूल।।
बणवीर चढ़िय तेवहि ब्रहासि।
अहिंकारि थम्भ आडर आयसि।।

(13)जद विक्रम संवत1597 मांय राव मालदेव बीकानेर माथै हमलों करियौ जद बीकानेर री मदत सारू बणीर जी ,किसन जी,साईंदासजी आद सिरदार भी गिया इण जुध मांय राव जैतसी मारया गिया अर बीकानेर माथै जोधपुर रो कब्जो हुयग्यो।
(14)विक्रम संवत1603 मांय जद मालदेव मेड़ता परियां चढायी कीनी जद जयमल बीकानेर सूं मदत मांगी जद बीजां सिरदारां रे साथै बणीर जी भी जयमल री मदत सारू गिया।
(15) हाजीखां पठान जद जोधपुर रै विरुद्ध बीकानेर सूं मदत मांगी जणा बीजा सिरदारां रै साथै बणीर जी भी मदत सारू गिया।इण तरु बणीर जी कांधलोत घणी लड़ाया अर जुध लड़िया जिण मांय घणकरा जुध बीकानेर री मदत सारू लड़िया।बणीर जी री मृत्यु गांव घांघू मांय विक्रम संवत 1605 मांय हुयी इणरै चार रानियां थी जिणसूं दो बेटी अर ग्यारह बेटा हुया।बणीर जी री औलाद बनीरोत कांधल कहावे है बनीरोतो रो बड़ो ठिकाणो चुरू हो।

लेखक अर प्रस्तुति :-
अजयसिंह राठौड़ ठिकाणा सिकरोडी
मो .9928483906