-: रजपूती :--
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कठै गया बै जोध जबर,कठै गयी बा रजपूती।
हुवी हाण घणी इण जग में,जागो थै अब नींदा सूती।।
सूरां मांही हो नाम थारौ,
रण मांही डंका बाजै हा।
हा वीर घणाही इण कुळ में,
ज्यूँ शेर जंगल में गाजै हा।
हो जोर अणूतो हाथां में,
रण भौम मे बोलै ही तूती।।1।।
कठै गया बै जोध जबर,
कठै गई बा राजपूती।।
घर घर में पाबू परवाड़ा,
है घणा चावसूं गाईजै।
गायां री व्हार चढ़यो रण में,
जदै प्रणवीर कैवाईजै।
बोलेडो वचन निभावण नै,
पगल्यां में नीं घाली ही जूती।।2।।
कठै गया बै जोध जबर,
कठै गईं बा रजपूती।।
हा जोर जबर जोधा तगड़ा,
रणबंका राठौड़ी सूरा ।
भाई जोधा री ढाल बण्यो,
भतीज रा करै सपना पूरा।
कमधज कांधल सा वीर कठै,
जिकै प्रण निभायो मजबूती।।3।।
कठै गया बै जोध जबर,
कठै गईं बा रजपूती।।
जैमल पत्ता वीर कल्ला,
इण कुळ में ही जाया हा
मरजाद भौम री राखण नै,
घणा घमसाण मचाया हा।
टूट पड्या मुगलां ऊपर,
बै लाज रखण नै रजपूती।।4।।
कठै गया बै जोध जबर,
कठै गई बा रजपूती।।
राणा प्रतापसी इण कुळ रा,
हिन्दवाणी सूरज कहलाया।
बण हार नहीं मानी रण में,
भाला मुगलों पर भळकाया।
अकबर भी पाछै रोयों हो,
राणा री देख'नै रजपूती।।5।।
कठै गया बै जोध जबर,
कठै गई बा रजपूती।।
रणबन्को राठौड़ी कहीजै,
वो जोधो दुर्गादास जबर।
जोधाणो राज बचावण नै,
है लीनी दिलली सूं टक्कर।।
रोटी भालै अणियां सेंकी,
रख क्षात्र धरम री मजबूती।।6।।
कठै गया बै जोध जबर,
कठै गई बा रजपूती।।
सीस कटाणै रो टेम गयो,
अब सिर जोड़ण री बारी है।
अस्त्र शस्त्र तो छोड़'र अब,
पढ़णै लिखणै री धारी है।
होवै राज में भाग अपणो भी,
मनड़ा में थै धारो मजबूती।।7।।
कठै गया बै जोध जबर,
कठै गई बा रजपूती।।
इण कुळ रो गौरव ऊँचो है,
सतवंती इणमै नारी है।
योग्यता घणी अब भी कुळ में,
आरक्षण बणी बिमारी है।
कैवे कमधज अजय सिकरोडी
धरल्यो थै हिवड़ै मजबूती।।8।।
कठै गया बै जोध जबर,
कठै गई बा रजपूती।।
🌹🌹अजयसिंह राठौड़ सिकरोडी🌹🌹
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