Saturday, September 15, 2018

रावत कांधल जी राठौड़

----:आप रहे उमराव  :-----
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राठौड़ी भीष्म पितामह रावत कांधल
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इण मरुधरा मांय घणा सुरमा हुया जिकां री सुरापण री गाथा जगचावी पण इणी धरां रै मांय दो सुरमा ईस्या बी होया जिकां रो त्याग अर बलिदान भूल्यां नी सरै ऐक हा दुर्गादास जी राठौड़ जिणरो मारवाड़ माथै त्याग अर बलिदान किण सूं बी छाणी कोनी अर दूजा सुरमा हा रावत काँधलजी राठौड़ जीण रो बलिदान जोधाणो अर बीकाणो कदै नी भूल सकै म्हु तो अठै तांई कैवूं कै जै कांधल जी नीं होवंता तो ऐ दोन्यू राज सायद ई होवंता बांकीदास जी बी आपरी ख्यात मांय लिख्यो ह "खांटी कांधल जी के बांधी बीका" इणी तरु ठा.भगवती प्रसाद विसेन जी बी लिख्यो ह "अपने बाहु बल से अर्जित राज्य को अपने या अपने बाल बच्चों के लिए न रख अपने भतीजे को सौंपकर जीवन भर सेवक रहना और वो भी एक हंसी मे की गई प्रतिज्ञा का करने के लिए कांधल सरीखे त्यागीवीर के लिए ही सम्भव है" काँधलजी जेड़ा वीर नै सरदार पर्णिकर जी बी काँधलजी नै कांधल महान लिख्यो ह ।इणी तरु गोविन्द अग्रवाल जी बी लिख्यो ह  "कांधल ने ऐसे समय मे त्याग का एक आदर्श प्रस्तुत किया जब सत्ता के लिए बेटा बाप को और बाप बेटे को मारने मे नहींहिचकिचाते थे उस समय कांधल बीका को अपनेसरक्षण मे जोधपुर से लेकर आये और अपने प्राणों से ज्यादा उसकी सुरक्षा को महत्व दिया।कांधल युद्ध के कठिनतम और खतरनाक मोर्चो पर आप रहे।इस प्रकार कठिन परिश्रम और उधोग से प्राप्त राज्य मेंसे अपने लिए कुछ नहीं रखा।
कांधल जी साँचा अर्था मं राठौड़ वंश रा भीष्म पितामह हा जिका पैलां आपरै भाई रा राज बणावण मांय सैयोगी रैया पाछै भतीजे रा ।
कांधल जी राव चूण्डा राठौड़ रा पोता राव रिडमल जी रा बेटा अर राव जोधाजी रा भाई हा रावत कांधल जी रो जलम विक्रम सम्वत 1473 मांय रिडमलजी री राणी नरूकी जी री कूख स्यू हुयौ कांधल जी आपरै पिता रिडमलजी री तरियां ई डील डोल मं तगड़ा अर सूरवीर हा रावत कांधल जी आपरै जीवण मांय बावन जुद्ध लड्या अर पैलो जुद्ध बारै साल री उम्र मांय लड़ीयो अर आखर रो जुद्ध तिहत्तर री उम्र मांय जीण माथै किणी चारण रो ओ दुवौ लोक मांय घणो जगचावो,
"तीन अर सत्तर बरस लिन्या वीर सुभठ।
बारै बरसां सामली कांधल खड़ग रजवठ।।"

रावत कांधल जी री बावन लड़ाइयां रो छोटो सो वर्णन आपरै सामां भणीजण सारू राखूं क्यूं कै जुद्ध रो पूरो ब्यौरा री तो घणी बड़ी किताब हुय ज्यासी।
पैलो जुद्ध नागौर रै नवाब रे साथै पिता रिडमलजी जी नेतृत्व मांय लड़'र आपरै दादा राव चूण्डा रो बैर लियौ इण जुद्ध मांय आप घणो सुरापण दिखायो जणा पिता रिडमलजी घणा राजी होय'र जेठी घोड़ो कांधल जी ने दियौ
जद रिडमलजी महाराणा मोकल री मौत रो बदलो लेवण खातर चाचा अर मेरा माथै चढ़ाई कर'र पहि रा पहाड़ां मांय घेरो लगाय उण नै मारिया जद कांधल जी बी आपरै पिता रे साथै जुद्ध मं साथै रैया।
जद रिडमलजी मेवाड़ रे हित खातर मालवा रा नवाब माथै हमलो करियौ जणा कांधल जी बी सागै जाय'नै आपरै हाथां रो जोर दिखायो इणी तरु गुजरात रा नवाब साथै मेवाड़ रा हित मांय लड्या राणकपुर रा नवाब साथै लड़'र जीत्या जोयनपुर री लड़ाई मांय बी कांधल जी सामल रैया।
ऐकर रिडमलजी आपरै कुँवरा नै साथै लेय तीर्थ जात्रा माथै गिया अर पाछा आवंता ढूढ़ाड रा राजा पूरणमल रा मैमान रैया कांधल जी आपरै जेठी घोड़ा माथै सवारी कर'बा निसरिया जणा पूरणमल घोड़ो देख'र लालच करियौ अर कांधल जी सूं घोड़ो मांग्यो जणा कांधल जी दियौ कोनी जद राजा पूरणमल जुद्ध कर'र घोड़ो लवणों चायो जद कांधल जी पूरणमल नै अपड़ र कैद कर लाया।

चितौड़ मांय आपस मांय लड़ाई हुयी जद कांधल जी बी सामल रैया इणी तरु जद रिडमलजी चितौड़ हा जद भाटीया सोजत मांय घणी लूट मार मचायी जद रिडमलजी कांधल जी नै सोजत भेज्या जणा कांधल जी सोजत आय'र अठै री सम्भाल कीनी अर दंगा करण हाला नै दण्ड देय'र सोजत री सुरख्या भाल कीनी।
राव रिडमलजी नै आपरै भेदीयां सूं ठाव पड़ियो कै राव चूण्डा सिसोदिया षडयंत्र करण री जुगत मांय ह जणा राव रिडमलजी आपरै बेटा जोधा कांधल नै चितौड़ री तलहटी मांय घोड़ा रै साथै रैवण रो कैयौ अर आप गढ़ रे मांय रैया पाछै चूण्डा सिसोदिया षडयंत्र रचा'र रिडमलजी जी नै सुत्या नै मरवा दिन्या जणा ऐक डुम गढ़ उपरीयां सूं हेल्लो उपाडयो के 
"चूण्डा अजमल आविया, मांडू हू धक आग।
जोधा रिडमल मारियो ,भाग सकै तो भाग।।
जणा जोधा कांधल उठासूं भाग निसरिया क्यूँ कै चूण्डो सगलै राठौड़ कुडुम्बा नै मारणो चावै हो राव रिडमलजी री हत्या राणा कुम्भा री शह सूं विक्रम सम्वत १४९५कातिक बदि अमावस शनिवार18अक्टूबर1438मांय हुयी(चुरू मण्डल का इतिहास) रिडमलजी नींद मांय हुंता थकां बी खाट लेय'र उभा हुयग्या अर 18 दुस्मयां नै मार'र सुरगां सिधारया

"रिणमल उठि नरसिंघ रुख,पय ग्रहि लात पछाड़िया।
लोहाळ अठारहि पिंड लगां, पिसण अठारह पाड़िया।।

राव चूण्डा आपरी फौज लेय'र राठौड़ां माथै हमलों करियौ पण जोधा कांधल आपरै आदमीया नै साथै लेय'र निसरिया पण ऐक भाई मण्डला जी बठै ई सुत्या रैग्या जद आगै जाय'र ठाव पड़ियो कै मण्डला जी तो सुत्या ई रैग्या जणा किणी भाई री पाछौ जाय'र मण्डला जी नै ल्यावण री हिम्मत नीं होयी जद कांधल जी आपरै छोटा भाई मण्डला जी नै चितौड़ सूं ल्यावण रो बीडो उठायो अर पाछा जाय सिसोदिया री फौज नै पाड़ता थकां चितौड़ जाय बडिया अर कई सुरां नै मार'र मण्डला जी नै जींवता जागता लेय'र आवीया अर रात रा मांडल रे तलाब पूग्या जद आपरै घोड़ा नै पाणी प्यावण लाग्या उणी तलाब रे दूजी ठोड़ जोधा जी उभ्या आपरै घोड़ा नै पाणी प्यावै हा पण दुस्मण जाण डरता बोल्या कोनी जद कांधल जी जोर स्यू बोल हेलो उपाडयो "कुण ह" जद जोधा जी कांधल जी री बोली पिछाण ग्या अर कांधल जी रे साथै मण्डला जी नै देख'र घणा राजी हुया पछे आपरै भायाँ स्यू बांथा घाल'र मिलिया अर कांधल जी सूं कैयौ कै भाई तू म्हारा वंस रो रावत ह उण ठोड़ ई कांधल जी ने रावत पणो दिरायो।
"जोधा जंगम छेड़िया जद,पमंग पीछोल पाया।
उण दिन रावत पदवी दिवी, रावत कांधल कहलाया।।
उण टैम मेवाड़ री फौज साथै घणी लड़ाया हुयी जण मांय कपासन,चितरोडी, सतखण्डा, कनवज अर केलवा जेडी जिग्यां जुद्ध हुया जीण मांय कांधल जी घणो सुरापण दिखायो अर आपरै भाई जोधा रा ढाल बण्या रैया।
सोमेश्वर घाटी मांय घनघोर लड़ायी हुयी जीण मांय राठौड़ी फौज रो घणो नुकसान हुयौ घणा सुरमा मारिया गिया इण जुद्ध मं बरजांग जी घणा जख्मी होया पण कांधल जी जोधा जी ने उठे स्यू राजीखुसी काढण मं कामयाब रैया अर सोजत स्यूं रणवास अर धन माल लेयर जांगलू कावनी अर चुण्डासर मांय रैया अर पन्दरा साल राठौड़ां घणा संकट मांय काट्या अर आकड़ा रा पतां माथै जीम्या अठै बी राणा कुम्भा अर चूण्डा री फौज घणा हमला करिया पण जोधा कांधल उणरो डट'र मुकाबलो करियौ ।
ऐकर राणा कुम्भा आपरै चारण जालप नै राठौड़ां री टोह लेवण नै भेज्या जद राठौड़ां बारठ जी री घणी आवभगत करी अर खाणो पूरस्यो उणी टैम दो झोटा लड़ता लड़ता आवीया अर धोरां माथै रेत उड़ण लागी जद जोधा जी कांधल जी नै इसारो करयौ जद कांधल उभा होय'र दोन्यू झोटा रा सींग अपड़ उपाड'र दोन्या नै भगा दिया जालप जी ओ देखर घणो अचम्भो करियौ अर पाछै कुम्भा नै जाय कैयौ कै थारा आदमी कांधल री बराबरी नी कर सकै जणा कुम्भा जी निराज होय बारठ जी नै काढ़ दियौ जद बारठ जी राठौड़ां कनै आय र रैया ।
विक्रम सम्वत १५१०मांय राठौड़ां आपरी फौज अर तागत घणी करली जद जोधा जी कांधलजी नै माता करणीजी कनै आसीस लेवण भेजिया जणा करणीजी कैयौ कै अबै थारी जीत हुसी पाछै जोधा कांधल रात रा मण्डोर माथै धावौ बोलियो अर किला माथै राठौड़ां रो अधिकार होयग्यो पछे कांधल जी चौकडी रा थाणे माथै हमलो कर र चौकडी माथै कब्जो कर लिन्यो पछे मेड़ता अर अजमेर माथै कब्जो कर भेरुन्दा थाणा माथै हमलो किन्यो अर राणा री फौज नै मार'र भगायी कोसणा रा थाणा माथै कब्जो कीयो सोजत अर गोडवाड़ परिया हमलो कर आपरै अधिकार मांय लिन्या अबै राठौड़ां घणे जोर स्यूं राणा माथै चढ़ाई करण री त्यारी कीनी इण खातर सेना रा दो भाग किन्या ऐक भाग रा सेनापति रावत कांधल जी अर दूजे भाग रा सेनापति बरजांग जी हा इणी टेम नरबद सतावत गुजरात रा बादसाह री फौज लाय'र मण्डोर माथै कब्जो कर लिन्यो जणा कांधल जी जाय'र जुद्ध कर नरबद अर बादसाह री फौज नै हराय भगायी अर मण्डोर माथै पाछौ अधिकार किन्यो मण्डोर री सुरख्या मं आपरा सांवठा आदमी छोड़'र पाछा सोजत आवीया राठौडी फौज कांधल जी रै नेत्रतव मं पाली माथै अधिकार कर लियो रात टेम चितौड़ परिया धावौ बोल्यो किला रा किवाड़ बालदिन्या मेवाड़ रा गांव लुटिया पीछोला माथै धावौ कियो मेवाडी सेना भाग पड़ी पाछै राणा कुम्भा राठौड़ां साथै क्षमा माँग'र घणला री जागीर पाछी दीवी।
द्रोणपुर रा राजा अजीत मोयल नै मार द्रोणपुर बीदा नै दीन्यो।
बछराज अजीत रा बेटा नै जुद्ध मं मारियो।
मेघा मोयल नै मार द्रोणपुर पाछौ बीदा नै दियौ।
कांधल फतेहपुर माथै चढ़ायी कीनी जद बठै रो सेनापति बहुगुणा सामां फौज लेयर आयो घणो सुरापण स्यूं लड़यो अर कांधल जी री तलवार स्यूं सीस कट'र धरां पर पड़ियो।

"कांधल रिडमलराव को,दियो खेत बिचराय।
सीस कटयो बहुगुण लड़यो,बहुगुण दियो दिखाय।।
राव जोधाजी रे दरबार मांय रावत कांधल जी बैठ्या हा उणी टेम बीका जी आया अर कांधल जी कान मांय कीं बात कैवण लाग्या जणा जोधाजी मौको देख'र मेणो मारियो कै आज तो काको बेटो कोई नुवों राज दाबेला" जणा कांधल जी खड्या होय कैयौ कै अबै तो भतीज ने नुवों राज बणाय र आपणै मूंडो दिखावा स्यां अर बीका रो हाथ अपड़ भीर हुया जद जोधाजी देख्यो कै कांधल जी रिसाणा हुयग्या बोल्या म्हे तो मसखरी कीनी अर थै रीसाणा हुयग्या जद कांधल जी कैयौ म्हु इण नै आपरौ आदेस मानू अबै तो नुवों राज दाब स्या अर आपरौ साथ लेयर बीका नै साथै लेय भीर हुया जांगलू आवीया कई दिन चुण्डासर रैया पछे कई साल माँ करणी जी कनै देसनोक रैया पाछै मातेश्वरी री आज्ञा सूं कोडमदेसर आय रैया कोडमदेसर गढ़ बणावण री सोची जद भाटी कलकर्ण फौज लेयर आयो जणा जुद्ध हुयौ अर कलकर्ण मारियो गयौ अर जीत कांधल जी री हुयी ।
कोडमदेसर मांय करणी जी री आज्ञा सूं बीका जी भैरुं जी थापना कीनी।
कांधल जी बीका रे साथै सिधमुख मांय हा उणी टैम पाण्डु गोदारा रो बेटो नकोदर आय मदद री अर्ज करी क्यूँ कै पुला सारण रै कैवण स्यू सिवाणी रो नरसिंघ तंवर लाधड़िया नै लूट'र बाळ दीन्यो जणा कांधल जी बीका जी रात रा ई नरसिंघ नै जाय ललकारियो जिकौ उण टैम ढाका गांव मांय हो नरसिंघ रे साथै किशोरसिंघ तंवर बी कांधल जी मारियो ।
कांधल जी जोईया नै हराय आपरै अधीन करिया।बिलोचां नै हराया खिचिवाड़े रा देवराज खीची नै हराय बी री भौम दाब लीनी।सोहुवा नै हराय अधीन करिया।पूनिया,स्याग कस्वा बेनिवालां नै हराय आपरै अधीन कीन्या।साँखला, बागोड राजपूतों नै हराय आपरै अधीन करया इणी तरु पूगल रा शेखा भाटी नै आपरै अधीन करियौ।भुरटां नै हराय अधीन करया।
मांडलगढ़ री लड़ायी मांय मेवाड़ रा राणा रायमल जी मदद मांगी जणा फौज लेय र गिया अर मांडलगढ़ रे नवाब नै अपड़'र राणा नै सूंप्यो।
इण तरु कांधल जी आपरी परतग्या पूरी कीनी बीकानेर थापना कर'र भतीजे बीका नै राजा बणाय आप उमराव रैया इण माथै किणी कवि ओ दुवौ कैयौ
"कांधल राज भतीज रे सजबाँध्यो बलसार।
उण कांधल भंजेस्वर चौदह भूमि चार।।

जद बीकानेर राज बणग्यो अर राज मांय सुख सम्पत होग्यो जणा कांधल जी आपरै बड़ा भाई जोधाजी सूं मिलबा बीका नै साथै लेय र पूरा दलबल स्यू जोधपुर गिया जद जोधाजी नै ठाव पड़ियो जणा नगरी मांय उछब मणायो अर मण्डोर तांई सामी आया जद जोधाजी आपरै भाई कांधल जी सूं बांथा घाल'र गला मिलिया जोधा जी कांधल जी रो त्याग अर कडुम्बा सूं लगाव देखर घणा राजी हुया जद कई दिन पछे कांधल जी जोधा जी सूं सीख लेवण कैई जणा जोधाजी गला मिल'र आँख्या मांय पाणी ले आया दुवौ

"भाई देहू उमग भड़,जय स्ना शरीर।
स्नेह कांधल बरसर, जोधा उठया भीर।।

नरबद मोयल कांधल जी रो दोहितो आपरै मामा बाघ जी अर भाई बरसल मोयल नै साथै लेय'र दिलली रा सुल्तान लोदी कनै जाय द्रोणपुर बीदा जी पाछौ लेवण खातर मदद मांगी जणा सुल्तान हंसार रे सूबेदार सारंग खान फौज देय भेजियो जद बीदा जी इतनी बड़ी फौज देखर बिना मुकाबलो करया द्रोणपुर स्यू बीकानेर आयग्या अर बीका जी कांधल जी स्यू मदद मांगी जद कांधल बीका फौज लेय गया भगवती करणी जी रे कैवण स्यू बाघ जी नै बुलाय आपरै सामल करया पछे फौज रा दो भाग कर'र एक रो नेतृत्व बीकाजी करियौ जिका मोयला री पैदल फौज माथै हमलों करियौ दूजे भाग रा सेनापति कांधल जी हा जिकां सारंग खान री घुड़सवार फौज रो मुकाबलो करियौ सारंग खान कांधल जी आगे टिक नीं सक्यो अर घायल होयै नै जुद्ध स्यूं भाग निसरियो नरबद अर बरसल मोयल मारिया गिया जीत राठौड़ां री हुयी द्रोणपुर छापर पाछी बीदा जी नै सुम्पी।
कांधल जी बीकानेर राज बणाय पछे आपरै बेटा अर आपरा आदमी लेयर आगूं स्यू आगूं धरती दाबता गिया अर बीकानेर री सुरख्या मं ठिकाणा बांधता गिया रावत कांधल जी हांसी हंसार भटू फतेहवाद रोहतक भादरा शेरडा तांई घोड़ा दौड़ाय आपरा भाई बेटा रा ठिकाणा बांध्या साहवा रो ठिकाणो आपरा बेटा अड़कमल जी रे बांध्यो राजासर ठिकाणो बणाय आपरै बेटा राजसी नै सूंप्यो सरसा ओटू कनै मीर पठान नै मार'र धमोरो कायम करियौ जण कैबत चालै कै जद कद धमोरो कांधला इणी तरु आपरै बड़ा बेटा बाघ जी नै चाचीवाद ठिकाणो बणाय दीन्यो रोहतक कनै डमाणा ठिकाणो बणायो जिकौ अबै बी कांधला रो ई ह ।बावनवीं अर आखरी लड़ायी 73 साल री उम्र मांय सारंग खान साथै लड़ी जद
कांधल जी साहवा मांय आपरौ डेरो लगाय हांसी हंसार रा इलाकै मांय छापा मारता रैया जिणसूं हंसार रो सूबेदार सारंग खान घणो विराजी हुयौ अर बो पैलां बी कांधल जी हार रो बदलो लेवण री जुगत मं रेंवतो विक्रम सम्वत 1546 पोष कृष्ण5 (रविवार13दिसम्बर 1496)नै जद रावत कांधल जी लोक मांय जनता रा हालचाल पूछता फिरै हा जद सारंग खान भोत बड़ी फौज लेयर अचाणचक हमलों करियौ उण टैम कांधल जी रा बड़ा बेटा बाघ जी चाचवाद अर अड़कमल जी बीकानेर हा जणा कांधल जी बी आपरै बेटा राजसी निम्बा सूरा अर थोड़ा सा साथ स्यूं ई मुकाबला माथै आया घणो घमासान माच्यो जद कांधल जी सारंग खान माथै वार करण खातर बी रै हाथी परिया घोड़ो कुदायो जणा घोड़ा रा तंग दुमची टुटग्या जद कांधल जी आपरै बेटा स्यूं कैयौ कै जद तांई म्हु तंग दुमची ठीक करूँ जद तांई थाँ इण नै डाटो उणी टैम सारंग खान घणो जोर स्यू हमलों करियौ जिणरो मुकाबलों राजसी सूरा अर निम्बा रोक सक्या जद कांधल जी बोल्या जावो रै कपूतों म्हे तो थानै बाघे रै भरोसे कैयौ अर कांधल जी 23 दुस्मयां नै मार'र सुरगां सिधारया इण लड़ायी री जिग्यां माथै इतिहासकार एकराय कोनी कैई झांसल कनै क्षत्रियाली गांव बतावे जद कै क्षत्रीयाली सरसा कनै पडै अर बठै जिकौ चुन्तरो बतावै बठै अबै मिन्दर बनयोडो अर बठै सती रो मेळो भरीजै इण मुजब म्हारी तहसीलदार श्री सुरेंद्रसिंघ जी अर सरसा रैवण हाला कानसिंघ कांधल स्यूं बी बात होयी जद दोन्या ई बतायौ कै जिका सती होयैडा ह बै आपरै टाबर नै गोदी मांय लेय होयैडा ह कानसिंघ जी तो आ बी बतायी कै बै सती जी बाघजी पर होयडा ह अर दूजी बात दयालदास जी आपरी ख्यात मांय 16नम्बर पाना माँथै साहवा मांय जुध होवण री लिखी अर तलाब री पाल माथै कांधल मारया जावण रो लिख्यो ह इणी तरु पाऊलेट बी गजेटियर बीकानेर रै मांय पाना नम्बर 8 माथै साहवा मांय हुयी लड़ायी मांय कांधल जी रे वीरगति पावण री लिखी ह मुन्सी सोहनलाल बी तवारीख़ बीकानेर रा पाना नम्बर 108 मांय साहवा ही कांधल जी रे काम आवण री अर एक राणी रे सती होवण री बात लिखी ह अर सबस्युं मोटी बात माननीय तहसीलदार श्री सुरेन्द्रसिंह जी मेघसर बतायौ कै जद साहवा री ढाब माथै कांधल जी रो मिन्दर बणावण सारू जद चबुन्तरो तोड़यो अर नींव खुदायी जद उण मांय अतरा मोटा हाड अर एक पग रो कड़ो बी निकल्यो जिकौ लुगाई रो तो किण भांत नीं होय सकै क्यूँ कै बठै राणी देवडी जी सती होया हा बै हाड़ तो कांधल जी रा ही हुय सकै इणरो मतलब कै साहवा मांय ही कांधल जी रो अंतम संस्कार हुयौ अर राणी देवडी जी कांधल जी री पाग साथै नीं कांधल जी री देह साथै सती होया हा कैवण रो मतलब कै रावत कांधल जी साहवा मांय ही सारंग खान साथै लड़ता थकां काम आया अर अठै ही कांधल जी रो अंतम संस्कार हुयौ इण ठोड़ अबै रावत कांधल जी रो शिखरबन्द मिन्दर बणियोडो अर घणी बड़ी अस्ट धातु री घोड़ा चढ़ी मूरत लगायीजी है जठै पोष मिन्हा री कृष्णा पंचमी नै तगड़ो मेळो भरीजै अर कांधल जी रे धोक लगाय याद करिजे।
पछे कांधल जी री मौत री खबर बीकानेर राव बीकाजी नै हुयी जणा बीकाजी सौगन खायी कै जद तांई कांधल जी री मौत रो बदलो नीं लेवूं जद तांई रोटी नीं खाँवु लो अर पछे जोधपुर जोधाजी नै खबर करीजी जणा जोधाजी फौज लेय द्रोणपुर आवीया मेड़ता स्यूं राव दूदा अर बरसिंघ बी आपरै साथ सूं आवीया बीकानेर स्यूं बीकाजी बी फौज लेय'र द्रोणपुर आवीया चाचावाद स्यूं बाघजी आपरी फौज लेय आवीया इण तरु जोधाजी बीकाजी बीदा जी बाघजी राजसी अड़कमल जी अर सगळो राठौड़ वंश द्रोणपुर मांय भेळो होय'र कांधल जी री मौत रो बदलो लेवण सारू जोधाजी रे नेतृत्व मांय सारंग खान माथै चढ़ायी कीनी सारंग खान बी आपरी पैदल अर घुड़सवारां री भोत बड़ी सेना लेय सामां मुकाबलों करणै आयो झांसल गांव मांय घमासान माच्यो जीण मांय सारंग खान री फौज रा पग भाज्ग्या अर सारंग खान मारियो गियो बण रा आदमी मारिया गिया राठौड़ी सेना रा बी घणा जोदा मारिया गिया जण मांय कांधल जी रा तीन बेटा बाघजी जगजीत अभयजीत मारया गिया तवारीख़ बीकानेर रे अनुसार बीकाजी रो बी एक बेटो काम आयो बाघ जी री मोत सारू दयालदास री ख्यात मांय बी बाघजी कांधल जी री मौत रे एक मिन्हा पछे मरण री लिखी ह अर कल्याणसिंह राठौड़ बी  ''आप रहे उमराव रावत कांधल''मांय पाना नम्बर 82 माथै बाघजी रो इण जुध मांय मरणो बतायौ ह सारंग किणरैहाथ सूं मरीयो इणबात माथै इतिहासकारां री राय एक नीं ह कोई बीकाजी रा बेटा नरा रे हाथ स्यूं बतावै तो कोई कैवे कै बीदा रा बेटा रे हाथां तो कोई खारबारा रे भाटी रे हाथ स्यूं सारंग खान रो मरणो बतावै पण म्हारौ मतो इण मं ओ ह कै राजपूत समाज री आ रीत रैयी कै बाप रो बदलो बेटो ही लेवंतो जद जोधा जी बदलो लेवण री कैयी जद बाघजी कैयौ कै बाप रो बदलो बेटो लिया करै अर बाघजी सारंग खान नै मारियो अर पछे घणा घायल होवण सूं आप बी सुरगां सिधारया ।आ बात ठाकुर फुलसिंघ मेहरासर बी ''कांधल वंश प्रकाश मांय 84 नम्बर पेज माथे लिखी ह ।इण तरु राठौडी फौज कांधलजी रो बदलो सारंग खान नै मार'र लियौ।
कांधल जी स्यूं कांधलोतां री कैई नखां चाली जिकी इण तरु ह।
(1)बाघजी स्यूं
बनिरोत,नारायणदासोत,रायमलोत ।
(2)राजसी स्यूं रावतोत
जसवन्तदासोत,गोपालदासोत,राधोदसोत,बिसनदासोत।
(3)अड़कमलजी स्यूं अड़कमलोत अर अड़कमल जी रा बेटा राव खेतसी जिका भटनेर रा शाषक हा अर कामरान सूं लड़तां थकां वीरगति प्राप्त हुवा उणरा बेटा साईंदास जी रा
साईदासोत कांधल कैवाया
(4)पर्वत जी स्यूं पर्वतोत
(5)पूर्णमलजी स्यूं पूर्णमलोत
(6)सुरोजी स्यूं सुरावत ठी, साबनिया

प्रस्तुति:-इतिहासकार ठा.अजयसिंघ कांधल राठौड़
ठिकाणा  सिकरोडी

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