Thursday, August 1, 2019

साईंदासोत खंगारसिह कांधल राठौड़ री बात

*साईंदासोत खंगारसिह कांधल री बात*

@अजयसिंह राठौड़ सिकरोड़ी

*आपणे बडेरा री घणकरी इतियासक अर जुनी बातां जिण माथै किणी कवि या इतियासकार री महती निजर नीं पड़ी अर लेखन मांय नीं आयी ऐड़ी भोत सी बातां अजै बी लोक मानस मांय कदै काऊ सुणन नै मिल ही ज्यावै आ बात म्हारी टाबर थकां सुणियोड़ी है अर म्हारै स्वर्गीय पिताश्री भीमसिंह जी राठौड़ नाजम साहब री डायरी मांय पढयोड़ी बी है पण बा डायरी घणा बखत पैलां कठै ई गुम होयगी या फेर कोई सयानों मिनख पढ़बा ने लेग्यो अर पाछी दी कोनी उणी डायरी सूं पढयोड़ी अर कीं सुनियोड़ी जिसी बी म्हारै याद है बा म्हे आज आप सूं साझा करूँ पण इण नै पुख्ता प्रमाणित करण रो म्हारै कनै कोई पुख्ता प्रमाण नीं है सा।*
*लेखन अर प्रस्तुति :- अजयसिंह राठौड़ सिकरोड़ी।।*

भादरा रै नजीक एक छोटीसी ढाणी जठै जाटां री गुवाड़ी दो च्यार घर जिका आपरी खेती बाड़ी करै अर डांगर ढोर पाळ नै आपरौ गुजारो चलावता ।
पण उणरै खेतां मांय बठै रा निरकुंश स्वामी बागोड़ा राजपूत अर उणारा कारिंदा अर भाई भतीजा रो घणो आंतक आपरी मनमर्जी चलावै अर खड़ी फसलां मांय आपरा ऊंट घोड़ा अर ढोर चराय नै किरसा रो घणो उजाड़ करै बिच्यारा किरसा फरियाद करै तो किणनै करै अठै तो बा ही बात लागू ही
"अंधेर नगरी चोपट राजा।
टक्के सेर भाजी टक्के सेर खाजा।।"
किणनै सुणावै अर कुण सुणे दोरा सोरा दिन काटता।इणी तरै धक्का पैल चालती रैयी उणी जाटां रै एक बेटा रै नुवीं नुवीं बीनणी आयोड़ी जिकी एक दिन आपरै खेत मांय घास फूस ल्यावण गयी अर खेत मांय पुगी तो कांई देखै कै खेत मांय तो खडी फसल मांय टोडिया(ऊंट के बच्चे)चरण लागरिया है ठाकर रा कारिंदा एक टिबड़ती माथै बैठ्या चरभर रमें आ देख बीनणती घणी रीसाणी हुवी नीं चरवाहा नै ओलमो दियौ जदै कारिंदा कैयो कै तन्ने ठाव कोनी ऐ राज रा टोडिया है ऐ तो इयाँ ई चरसी।बीनणती कैयो कै इयाँ किंया चरसी खेत म्हारौ है अर म्हे राज रो दाणों चुकावां अर यूं करतां करतां बात बढ़गी ठाकर रा कारिंदा बी घणा नकटाई सूं बोल्या कै ऐ टोडिया तो यूँही चरसी तूं कांई  करलेसी।
जाटणी बी पीछे सूं ढंग रै घर री बेटी ही अर घणी बेराजी अर रिसाणी हुय दरांती(हंसिया)सूं एक टोडिया री नाड बाढ दी जदै ठाकर रा कारिंदा बी घणा बेराजी हुया अर राज रै नशा मांय आंधा होयडा एक लुगाई सूं हाथापाई कर मार कुटाई करण लाग्या जणां लुगाई बापड़ी किणी तरां छुटाय'नै बस्ती कांनी भागी अर भागती रो ओढ़नियों सिर सूं उतरग्यो अर भागती भागती बावळी हुवेड़ी ज्यूँ भाग नै घरां आयगी इन्ने पोली माथै चौक मांय चौधरी लोग अर छोरा छंडा सगळा बैठ्या हुक्के रा हबीड बुलावै अर धुंवो उड़ावै पण बीनणी तो बापड़ी सुन्नी हुयेडी देवर जेठ सुसरा क्यूं नीं दीखै अर भागती भागती भूत भुंवाली खावती घरां जाय बड़गी बीनणती री आ हालत देख बूढ़ा बडेरा उणरे धणी नै कैयो कै छोरा मांयनै जाय'र देख कांई बात है कठै ई बीनणती मांय भूतणी तो नीं बड़गी हुवै किंया भागती आयी अर म्हासूं घूंघटो नीं करियौ अर ओढ़नियों धरती माथै घिसडतो गियो है।जणां उणरै धणी मांय जाय नै आपरी लुगाई नै बतलायी अर पुछ्यो कै कांई बात है आज इंया कैयां आयी है अर म्हारै काका बाबा रो बी ल्याझ नीं राखियो अर घूंघटो तो छोड़ ओढ़नियों बी गेलां घिसडतो आयौ है।जद बीनणती रिसाणी हुय बोली कै घूंघटो तो मरदां सूं काढयो ज्यावै अर थारै मांय तो म्हणे कोई मर्द दीखै कोनी।
जद धणी बोल्यो कै कांई बात है जिकी म्हानै सावळ तरियां बता जद लुगाई सारी बात बतायी जद धणी मुंडो लटकाय बारै आयौ अर सगळा काका बाबा भाई भतीजा नै कैयो कै आ बात है अबै करां तो कांई करां ऐ बागोड़ा तो आपां नै सोरा जीवण कोनी दे आये दिन क्यूं नै क्यूं उजाड़ करै अर साथै मारकुटाई अर लूटपाट करै।

"लूट मचावै मोकळी,देवै घणो ज दुःख।
बागोड़ बण बरोठिया,भरै जमारै भूख।।"

जद सगळा रलमिळ बिच्यार करियौ अर एक ही  राय किनी कै इणरो डोरो(पक्को इलाज) तो कांधलोत ई कर सकै है बाकी किणरी बी औकात नीं है इण सारू आपणे तो भेळा हुय नै सायै(साहवा साईंदासोत कांधलों का मूल ठिकाणा)चालो अर कांधलोतां रो सरणों लेवो।जद सगळा एक राय हुय साहवा भीर हुया।

"इणरो दे'सी ओलमो,सुत तो साईंदास।
कमधज सूरा कांधलां,अवस पूरसी आस।।

सगळा चालां साहवा,कमधां कन्ने खास।
अवस सुणेला आपणी, सुत बै साईंदास।।

"चाल्या रलमिळ चाव सूं,करणे अरजी खास।
साईंदास रा सूरमों,ऐकज थांसू आस।।"

अर सगळा भेळा होय साहवा व्हीर हुया।

रावत कांधलजी रा बेटा अरडकमल जी हा।अरडकमल जी रा बेटा राव खेतसी आपरै दम पर भटनेर माथै अधिकार जमायो अर घणा बरसा तांई राज करियौ पछै जद कामरान भटनेर माथै हमलों करियौ जद राव खेतसी आपरै साथ सहित उणरो घणे सुरापण सूं मुकाबलो करियौ पण मुगलां फ़ौज घणी ही जिणसूं सूं लड़तां थकां वीरगति नै व्हीर हुया जिणरो विस्तृत वर्णन सूजा बीठू बी आपरै छन्दा मांय घणो सजोरो करियौ है इणरे साथै ई घणकरा इतियासकारां बी राव खेतसी री बड़ाई करी है।खेतसी रा बेटा साईंदास जी हुया जिका साहवा रा स्वामी हा साईंदास जी बी बीकानेर री मदतसारू घणा जुद्ध लड़िया जिण मांय जैतसी री मदतसारू आपरै भाई भतीजो सहित कामरान सूं लड़िया इण लड़ाई मांय कामरान हार नै भागियो अर जीत राठौड़ो री हुवी।इण जुद्ध रो सजोरो बरणाव सूजा बीठू राव जैतसी रै छन्दा मांय करियौ है।इणी साईंदास जी रा बड़ा बेटा जयमल जी' दूजा कान्ह जी' तीजा ठाकर जी,चौथा खींवजी,पांचवां खंगार जी,छठा जालण जी अर सातवां लिछमण जी हा।जयमल जी बड़ा हा जिका साहवा रा स्वामी हुया अर बाकी सगळा भाई रलमिळ राज चलावता अर जयमल जी रो सेयोग करता।
एक दिन सगळा भाई बन्ध अर सभासद बैठ्या कीं मन्त्रणा करे हा उणी टेम जाटां आय फरियाद करनै अरज किनी कै थै बलशाली वीर जोद्धा रावत कांधलजी री वंश परम्परा सूं हो म्हारी मदत करो अर बागोड़ा सूं म्हारी रिख्या करो म्हे थांनै म्हारा मालक मानस्यां।

"सगळा आया साथ में,करणे करुण पुकार।
मदत करो थै मालकां,कर म्हां पे उपकार।।"

जद दरबार मांय बैठ्या स्याणा सुगनियां कैयो कै आज तो घरां बैठ्या आछा सुगण हुया खुद चाल नै भौम ढाबण रो न्यूतो आयौ जिको थै चुकज्यो मत।

"अवसर चौखो आवियो,आप चाल नै आज।
साय करै ली सारदा,मेहाई महाराज।।"

जद सगळा साईदासोतां एक मतो हुय नै आ जिमेदारी खंगारसिह नै भोलायी कै बागोड़ा नै थै जाय सलटावो अर उण भौम रा मालक बणो।

"रण में रमजै राजवी,कर मनड़ा में कोड।
कमधज वीर खंगारसी,रणबंका राठौड़।।"

जद खंगारसिह घणा राजी हुय कैयो कै जै आप सब री आ ई रजा है तो घणी चौखी बात है अर जाय भगवती श्री करणीजी रै देवरै सीस झुकाय आसीस लीवी पछै दादोसा महाराज रावत श्री कांधलजी रै थान(साहवा ढाब पर जहां रावत कांधलजी के साथ राणी देवड़ी जी सती हुए थे वहां पहले चबूतरे पर उनका थान बना हुआ था जहां अब भव्य मंदिर है) माथै जाय सती दादी राणी देवड़ी जी अर दादोसा कांधलजी रै माथो टेक जीत री अरदास करनै आपरौ साथ लेय भादरा कानी व्हीर हुया।

"राज ढबावण राजवी,तुरंत हुय तैयार।
सरपट चाल्या सूरमा,ले हाथां तलवार।।"

"भुजा विराज्या भगवती,भालै बावन बीर।
धजा धार पाबु धणी,रण मह करियौ सीर।।"

अर बागोड़ा नै जाय ललकारिया।भादरा सूं आथुण कानी दोनूं फ़ौज रो टकराव हुयो बतायजे।

"दड़ बड़ घुड़ला दौड़िया,ठावी ढाबण ठोड़।
कमधज वीर खंगारसी,रणबंको राठौड़।।"

बागोड़ा बी मद अर अंकार मांय बावळा होयडा सज धज नै सामां आयनै मुकाबलो करियौ पण साईंदासोत खंगारसिह रै आगै टिक नीं सकिया।

"मारण दुसमी मोकळा,भच भच फोड़त भोड़।
कमधज वीर खंगारसी,जबरो लड़ियो झोड़।।"

घणकरा खंगारसिह अर उणरै सुरवीरां रै हाथां सुरगां नै सिधाया अर कईयां रा अंग भंग हुयग्या अर कई जान बचाय भाग गिया जीत कांधलोतों री हुवी।खंगारसिह बागोड़ा री भौम दबाय उणरा स्वामी हुवा।
पछै खंगारसिह कांधलोत आपरौ नुंवो ठिकाणों सिकरोड़ी बसायो।जिणरो पुख्ता प्रमाण ओ है कै बहीभाट भी खंगारसिह ठिकाणा सिकरोड़ी लिखे अर इणरैे अलावा विद्वान अर बडेरा इतियासकार श्री रघुनाथ सिंह शेखावत काली पहाड़ी आपरी अमोल पुस्तक *क्षत्रिय राजवंश* मांय बी खंगारसिह ठिकाणा सिकरोड़ी लिख्यो है।बीजा कई इतियासकारां स्वर्गीय श्री फूलसिंह मेहरासर,स्वर्गीय कर्नल श्री जयसिंह जी ठेलासर, श्री कल्याण सिंह राठौड़ लीलकी आद लेखकां बी खंगारसिह ठिकाणा सिकरोड़ी लिख्यो है।सिकरोड़ी अजै बी कांधला री ही है बीकानेर महाराज सूरतसिंह रै बखत भादरा खालसा कर लीन्ही अर भादरा रै कांधलां नै बीजी जिग्या जागीर  देई पण सिकरोड़ी कांधलौतां आपरौ ठिकाणों नीं छोड्यो  अर दूसरी जिग्या जागीर नीं लेय सिकरोड़ी ई रैया।कई परिवार बीजी जिग्या जाय बसग्या पण अबै बी सिकरोड़ी रा खंगारसिहोत साईंदासोत कांधल कहावै है।
इण गांव रो नांव सिकरोड़ी रखण सारू बी कई किवदंतीयां चालै जकी फेर कदै साझा करस्यूँ।।

लेखन अर प्रस्तुति:-अजयसिंह राठौड़ ठिकाणा सिकरोड़ी।।
मोबाइल नम्बर 9928483906

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