Tuesday, March 26, 2019

श्री करणी उपासना

श्री करणी उपासना
रचयिता अजयसिंह राठौड़ सिकरोड़ी।।
मातेश्वरी को समर्पित मेरी रचनाओं को पढ़ने के लिए इस लिंक पर लॉगऑन करें और भगवती करणीजी की बेहतरीन रचनाओं को पढ़कर भगती रस का आनन्द उठाएं सा।जय माँ करणीजी।।

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आई श्री चम्पा माँ सुजस

https://drive.google.com/file/d/1exIHcSa7hMkyMS5tDY9bL6IRgw3uvi20/view?usp=drivesdk
इस लिंक पर टच करके आप  "आई श्री चम्पा माँ सुजस"  पढ़ सकते हैं सा।इसमें आई माँ पर मेरी भी एक रचना चिरजा छपी हुई है सा।पेज नंबर 11 व 12 पर।।

जय हो मातेश्वरी🙏🏻🙏🏻

Wednesday, March 13, 2019

दुर्गा बावनी छन्द

इसका नित्य पाठ करें सफलता अवश्य मिलेगी।।

🙏🌷छंद भुजंग प्रयात🌷🙏
🙏🏻🌹🌷दुर्गा बावनी🌷🌹🙏🏻
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          @अजयसिंह राठौड़ सिकरोड़ी
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         🙏 दोहा🙏
आई सिंवरु आपनै, धर गणपत रो ध्यान।
किरपा करजै करनला,सेवग रखजै शान।।
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     🙏🌷छन्द भुजंग प्रयात 🌷🙏

भजो मात दुर्गा सदा ही भवानी।
रटो नाम नित्या नमो माढ रानी।
नमो आद मातेसरी किंनियाणी
नमो राय देसाण री हे धिराणी।।1।।

नमो मात दुर्गा नमो माढ रानी।
नमो आद अम्बा सदा ही भवानी।
नमो संकरी आद शक्ति शिवानी।
नमो जोगमाया धजा री धिराणी।।2।।

तुही नाभ विष्णु ज ब्रह्मा उपाती।
तुही रूप दैत्या ज ब्रह्मा डराती।
तुही मोह माया ज विष्णु जगाती।
तुही रूप विष्णु मधू कीट  घाती।।3।।

तुही राग में आग में पौन पानी।
तुही कंठ में ताल में सुरज्ञानी।
तुही भोग में जोग में योग माया।
तुही छंद में बंध में अम्ब छाया।।4।।

तुही लोक परलोक तीनों उपाई।
तुही सेस माथै धरा है थमाई।
तुही मात आकाश पाताल पानी।
तुही मानवां लोक अम्बा थपानी।।5।।

तुही रूप चंडी भवानी बनाती।
तुही चंड मुंडा ज मारै गिराती।
तुही कालखंडी तुही खप्पराली।
तुही रक्त बिजग मारण रुद्राली।।6।।

तुही आद शक्ति सभी में विखाता।
तुही रूप ब्रह्मा ज सृष्टि विधाता।
तुही रूप विष्णु धरै जीव दाती।
तुही शंकरी शिव भष्मा रमाती।।7।।

तुही शुंभ निशुंभ के प्राण घाती।
तुही छेद त्रिशूल भैंसाज छाती।
तुही धूमलोचन्न धुंवा उड़ाती।
तुही सँकरी शिवदूती कहाती।।8।।

तुही मोह माया मनच्छा रमाये।
तुही आप नैणाय देवी कहाये।
तुही रूप वैष्णों गुफा मांय राजै।
सदा साथ में भैरवा नाथ साजै।।9।।

तुही कांगड़ा कोट काळी कहावै।
तुही चिंतपूर्णी ज चिंता हरावै।
तुही जोत ज्वाला हिमालै जगाई।
तुही बाणगंगा भवा हो बणाई।।10।।

तुही कालराती कमख्या कहाती।
तुही रिद्धि सिद्धि भंडारा भराती।
तुही शंकरी गौरजा हो शिवानी।
तुही भैरवी माँ अनन्ता भवानी।।11।।

तुही जंत्र में मंत्र में मात जाणी।
तुही धंत्र में तंत्र में वेदबाणी।
तुही अज्जया बिज्जया आद अंबा।
तुही अज्जरा अम्मरा अव्विलंबा।।12।।

तुही सुंदरी त्रिपुरा में सुहावै।
तुही काळका भद्रकाळी कहावै।
तुही जोगमाया अमा जग्गदम्बा।
तुही बीसहत्थी भवा भुज्जलम्बा।।13।।

तुही गांव गंवाड़ मंढाय दाती।
तुही छिन्नमस्ता भवानी कहाती।
तुही लोक तीनूं अमा हो उपाती।
तुही ज्ञान में ध्यान में ऐक थाती।।14।।

तुही रूप अम्बा अनेकों बनाती।
तुही नाद अन्नाद आपै उपाती।
तुही जीव निर्जीव सर्जीव दाती।
तुही प्राण देवै तुही प्राण घाती।।15।।

तुही जंत में तंत में प्राण जाणी।
तुही नभ्भ में थल्ल में आग पाणी।
तुही नीर में क्षीर में माढ राणी।
तुही अन्न में धन्न में खान पाणी।।16।।

तुही कामनी रूप नारी कहाती।
तुही बाल रूपा सुता है बनाती।
तुही जन्मदाता कहावै ज माता।
तुही मात भार्या सुता और दाता।।17।।

तुही चाळनेची कहावै चमुंडा।
तुही जागती जोत ज्वाला अखंडा।
तुही रुप ऐको अनेकों धराती।
तुही जीव में मोह माया जगाती।।18।।

तुही काल खंडाय कन्या कुमारी।
तुही भैरवा दैत मारै ज भारी।
तुही सेवगां री सदाही सहाई।
तुही पल्ल में राखसों ने खपाई।।19।।

तुही धूप में दीप में जोत बाती।
तुही जागती जोत देवा लुभाती।
तुही आग पानी हवा को बणाई।
तुही भाण चन्दा धरा तो थपाई।।20।।

तुही सेवगां री भवा संकलाई।
तुही जोत ज्वाला तवा पे जगाई।
तुझे धर्म्मसाला धयानू ज ध्याई।
तुही आद शक्ति सदा ही सहाई।।21।।

सुता शैल रूपां सदा ही सहाई।
तुही बामणी रूप अम्बा बनाई।
तुही चन्द्रघंटा कहीजै चमुंडा।
तुही काल खंडा अमा कूसमंडा।।22।।

तुही स्कंदमाता सदा ही विखाता।
तुही मात कात्यायनी हो कहाता।
तुही कालदाती कहावै ज काली।
करै नाश दुस्टां अमा खप्पराली।।23।।

तुही गौरजा हो भवा आद गौरी।
रटै देव पूजा करै मात तोरी।
तुही आद शक्ति अमा सिद्धदाता।
भवा पार तेरा कबो नांय पाता।।24।।

मढ़ा तो गढ़ा आप अम्बा विराजो।
भवा सेवगों रा सदा दुःख भांजो।
चढो सिंघ माथै करो थै चढ़ाई।
भवा से भवानी दुखों को भगाई।।25।।

तुही आद अन्नाद तुं मोह माया।
तुही ब्रह्म विष्णु शिवा तो उपाया।
तुही जानकी रूप सीता कहाती।
तुही राम ओ रावणै को लड़ाती।।26।।

तुही माँ शिवा सारदा है कहाती।
तुही लोक तीनों खपाती बनाती।
तुही जोत माँ काल खंडा जगाती।
तुही रूप लक्ष्मी विष्णु को लुभाती।।27।।

ब्रम्हा संग तुंही कहावै ब्रह्माणी।
धरै रूप रौद्र असूरां दलाणी।
तुही मोह माया तुही माढ राणी।
नमस्ते नमस्ते नमस्ते भवानी।।28।।

तुही द्रोपदी रूप में द्वापर धाई।
तुही कौरवां पांडवां नै खपाई।
तुही काल खण्डा उपावै भवानी।
तुही पुंज में तेज में आग पानी।।29।।

तुही आद शक्ति भवानी कहाती।
तुही मोह माया अमा हो रचाती।
तुही मात काली बजावै ज ताली।
चण्डिका बणी दुस्ट मारण चाली।।30।।

तुही हिंगलाजा अमा हो हमारी।
तुही तो भवा चारणां वंश तारी।
तुही ज्ञान में ध्यान में हो विखाता।
तुही आद माता सृष्टि की विधाता।।31।।

तुही आवड़ा तेमड़ा मांय तापै।
तुही पाप भौमी मिटावै ज आपै।
तुही खोडला मात अमृत लाती।
तुही देगराया ज भैंसा खपाती।।32।।

नमो राय भादेरिया री धिराणी।
नमो आद शक्ति करणी कीनियानी।
जपो जाप अम्बा सदा ही जिलाणी।
नमो मात दुर्गा नमो माढ राणी।।35।।

तुही मात देसाण करणी कहाती।
तुही जाय लाखन जिंदा कराती।
तुही रूप डाढ़ाल मैया बनाती।
तुही मात राठौड़ वंशा पुजाती।।34।।

करोली अमा आप कैला कहावै।
अमा मात जालोर आशा पुरावै।
तुही छींक माता ज आमेर धाती।
तुही खेमजा मां सिरोही कहाती।।35।।

बिलाड़ा तुही मात आई विराजो।
सवारी चढ़े सिंघ सन्मूख साजो।
जुमाया भवानी तुही जोगमाया।
कुर्मी वंश देवी अमा तों कहाया।।36।।

पहाड़ां चढ़ी जीण माता पुजायै।
अमा भैरवा नाथ साथै उपायै।
लटीयाल माता कहावै फलोदी।
जिलाणी अमा आप राजो बरोड़ी।।37।।

तुही शीतला मात देवी कहाता।
तुही राय देवी ज नागाण माता।
कुलां मात राठौड़ देवी कहाती।
दधी मां नगौरा दुमाया इदाटी।।38।।

अजे मात तेरा ज चेरा कहाता।
तुही हो भवानी भवाली ज माता।
मधां पीय ढाई महामाय प्याला।
अमा दीन की तुं हमेशा दयाला।।39।।

सवांगी सदा रूप आपै सरावो।
सदा सांचला मात देवी सहावो।
तुही बांकला बीरवड़ा बूट राया।
भवा कामही राजला बैच राया।।40।।

सुगाली दुमाया कवाया सुराणी।
तुही सैण माता जया माढ राणी।
भवा सेवगां रा भंडारा भराणी।
हरो आप पीड़ा हमारी भवानी।।41।।

अमा आप ही देवला हो कहाई।
तुही आवड़ा मामड़ा तेमड़ाई।
सदा सुरराया करो मां सहाई।
खला को अमा आप  दीजो खपाई।।42।।

तुही देवला मात पाबू ज ध्याई।
तुही कालमी अम्ब घोडी बणाई।
तुही संवली रूप सोढाण धाई।
तुही चार फेरों ज सोढ़ी छुड़ाई।।43।।

रणां भौम जाके विराजी तु भाला।
चला देवला मात तेराय चाला।
तुही व्हार गायां ज पाबू पठाही।
तुही वीर पाबू अमा तो पुजाही।।44।।

तुही मोगला माँ कहावै मछाली।
तुही डोकरी मात डाढ़ाळवाली।
तुही नाथ आई मढा री धिराणी।
तुही अम्ब राजै धजा आसमानी।।45।।

तुही मात इन्द्र भवा हो कहाती।
गढा तो मढ़ा में खुड़दा ज थाती।
तुही सायरा मात अम्बा सुहाती।
तुही कोट दांता ज मैया पुजाती।।46।।

तुही रूप सूवा ज माता धिराणी।
कथा मात तेरी करूँ क्या बखानी।
अजे दास तेरो करणी कीनियानी।
नमस्ते नमस्ते नमस्ते भवानी।।47।।

करो नाश दुष्टा ज देवौ खपाई।
रखो लाज आके अमा सूरराई।
हरो दुःख पीड़ा सभी तुं मेहाई।
अमा आय बेगी करो थै सहाई।।48।।

हमेशा रहो सेवगां री सहाई।
अबै मात कैसे अवेरां लगाई।
हुवी बात कांई करी ना सुणाई।
सुणो साद मेरी करो माँ सहाई।।49।।

सदा सिंवरुं सारदा हे भवानी।
धरुं मात तेरो हमेशाय ध्यानी।
हरो मात पीड़ा रहो थै सहाई।
अमा आय बेगी करेगी सुणाई।।50।।

जगा जोत तेरी करूँ मात पूजा।
दिखें नांय मैया मुझे देव दूजा।
भजूं दिन रातां तुझे ही भवानी।
कहै मां अजे जोड़ तेरी कहानी।।51।।

अकाशा पताळा अमा आप राजै।
सचै सेवगां रै हिया मांय साजै।
सदा नाम रटो करो नित्य सेवा।
देवी आद शक्ति सदा साथ देवा।।52।।

©®ठाकुर अजयसिंह राठौड़ सिकरोड़ी

Friday, March 1, 2019

भगवती करणीजी और रावत कांधलजी

----: माँ करणीजी अर रावत  कांधलजी:---
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@अजयसिंह राठौड़ सिकरोड़ी

माँ भगवती करणी जी रो जलम सुवाप गांव रा मेहाजी रे घरां देवल री कुख सूं विक्रम सम्वत 1444रा आसोज रे चानणी सातम शुक्रवार नै हुयौ ।दूहो :--
        "आसो मास उजाल  पख,सातम शुक्रवार।
चौदह सौ चोमालवै ,आई लियौ अवतार।।
माँ करणी जी हिंगलाज आवड़ जी रो औतार मानीजै करणी जी री राठौड़ी राज री थापना मांय अणुतो आशिर्वाद अर मार्गदर्शन रैयो आप रिडमलजी नै नोकोटि मारवाड़ रा राजा बणनरो वरदान दीन्यो रिडमलजी जी री मौत रे पाछै जोधाजी अर कांधल जी माँ करणीजी रे कनै देसनोक आवीया जद माता जी जोधा कांधल जी परिया छत्र छाया राखी अर आपरै देखभाल मांय राख्या पछे कावनी मांय डेरा लगाया अर माता करणीजी  रा आशीर्वाद अर आपरै दम सूं राठौड़ां मण्डोर पाछो जीत लियौ ।दूहो:
"पग इक पड़ा मेवाड़ में,दूजा मरुधर मांय।
मरुधर पाछी लीजिते, रावत नाम टिकाय।।"

मण्डोर जीत्या पछै जोधा जी चिड़ियाटूंक पहाड़ी माथै गढ़ बणावण री सोची जद बठै रैवण हालो मोड़ो चिड़ियानाथ आपरौ धुणो नीं हटावण रो कैयौ अर सराप देवण री डरावण दीनी जणा रावत कांधल जी जोधाजी नै माँ करणी नै बुलावण रो कैयौ अर पछे  आप कांधल जी खुद माँ करणी जी सूं देसनोक आय'र साथै चाल'र गढ़ री नींव लगावण री अर्ज कीनी जद माँ करणी जी रावत कांधल जी रे साथै आय'र जोधपुर गढ़ री थरपना कीनी।इण मुजब आ कैबत चालै कै जद माँ करणी जी आवंता दिख्या जणा चिड़ियानाथ आ कैय'र अबै तो भगवती जोगमाया खुद थरपना करण आवण लाग रैया ह जणा जावणो ई पड़सी  जद आपरौ धुणो सुलगतो ई भाखलां मांय घाल'र मोढ़े माथै धरगे चल्यो गयौ ।
इणी तरुं जद दसरावै रे दिन जद कांधल जी राव जोधा जी रे ऐक मैणा माथै आपरै भतीज बीका जी नै नूंवो राज बणावण परियां चाल्या अर साथै थोड़ाक आदमी लेय'र चुण्डासर आय रैया  पाछै कांधल जी बीकाजी नै लेय'र माँ करणी जी कनै आय'र आसीस लीवी अर कैयौ कै आप तो सै क्यु जाणो हो जद माँ करणी जी कांधल बीका नै आपरै हिवड़ै लगाय कैयौ कै थारौ मनचावौ हुसी जद माँ करणी कांधल जी नै कैयौ कै थै सगलै कुडुम्बा रै साथै म्हां कनै देसनोक आय रैवो अर फौज चुण्डासर राखो इण तरु कैई दिन आपरै कनै राख'र कोडमदेसर जाय'र रैवण रो कैयौ जणा कोडमदेसर जाय नै रैया अर बीकाजी करणी जी रे कैवण सूं बठै भैरवनाथ री थापना किणी पाछै माँ करणी रे आशीर्वाद सूं बीकाजी रो ब्याव राव शेखा री बेटी रँगकुंवरी साथै किन्यो उण टैम जद माँ करणी जी शेखा जी नै मुलतान सूं छुड़ा'र लाया जणा शेखा जी तो आँगण मांय चल्या गया अर करणी जी नै बारै पोल माथै ई भुलग्या जद पाछै ठाव पड़ियो कै बाईसा करणी जी तो पोल परियां रैग्या जणा उतावला सा बारै आया जद काँई दैखे कै करणी जी तो कांधल जी सूं हाँस हाँस'र बातां करण लागरैया ह जणा शेखा जी आय'र क्षमा मांग'र आंगणै पधारण रो कैयौ जणा माँ करणीजी बोल्या कै अबै नीं आज पाछै हूँ थारै पौल माथै अर राठौड़ां रै घर आंगणै मांय रहस्युं जद स्यूं ई माँ करणी जी राठौड़ां रे घरां आंगणै मांय पूजीजै अर भाटीया रे पौल माथै।पाछै माँ करणी जी उठै सूं देसनोक पधारिया अर कांधल जी बरात रै साथै आपरै ठोड़।माँ करणी जी राठौड़ां माथै बेजां टुठया अर राठौड़ी राज थरपना मांय घणो आशीर्वाद रैयो।दूहो:--
"आवड़ तूठी भाटीयां,कामेही गोड़ाह।
श्री बिरवड सिसोदिया,करणीजी राठौड़ाह।।"

इणी तरुं जद कांधल जी आपरै भतीज बीका खातर  बीकानेर राज बणाय'र आपरो कौल पुरो करियौ जद राजतिलक री तैयारी मांय कांधल जी लाग्योड़ा हा अर देखभाल सारू जद दरबार रे मांय आया जणा देख्यो कै गादयां तीन लाग्योड़ी जद नोकर सूं पूछ्यौ जद ठाव पड़ियो कै गादी तीन बीकाजी रे कैवण सूं लागैजी जद बीकाजी बुलाय पूछियो जणा बीकाजी कैयौ कै एक आपरी एक बीदाजी अर एक म्हारी जद कांधल जी कैयौ कै राजा तो एक ही होसी अर आपरै भाला री अणी सूं दो गादी उठाय'र एक माथै राख दीनी अर आप खुद जाजम माथै विराजिया इण साख रो ओ दूहो घणो जगचावौ।

"कांधल बांके वीर रो सादो सरल स्वभाव।
भूपति कीयो भतीज ने आप रयो उमराव।।

रावत कांधल जी खुद बीकाजी नै राजा थरपिया उण बखत माँ करणीजी आप नीं पधारिया आपरै बड़ा बेटा पुनोजी नै झाड़बेरी रा पांच पता सुगण रा देय'र भेजिया हा पाछै कांधल जी बीकाजी नै लेय'र सगळा कडुम्बा रे साथै माता करणीजी रा पांव लागण देसनोक पधारिया जणा माता जी आसीस दीवी इण टैम बीदा जी माँ करणीजी सूं कैयौ कै काका कांधल जी आप बी राजा कोनी बण्या अर म्हारो हक बी मार दीन्यो जद माँ करणीजी कैयौ कै कांधल जी जिकौ काम करियौ बो और कोई नीं कर सकै कांधल जी ओ सै क्यूं भगवती आवड़ जी अर म्हारी मनचावा सूं किन्यो ह अर बीकाजी सूं कैयौ कै काका कांधल रो उपकार कदै ना भुलज्यो अर जद तांई थारी औलाद कांधल जी री औलाद रो सम्मान करती रैवैली थारौ राज चालतो रहसी इण साख रो ओ दुवौ घणो जग चावो।
" कमधज कदै न बिसरै, कांधल तणो उपकार।
उण कांधल भांजे जबर, चौदह भूमि चार।।

पाछै माँ कांधल जी नै कैयौ कै थारौ त्याग अर बलिदान अमर रहसी जद बी थारै वंश मांय चार बेटा होसी उण मांय एक मांय थारा गुण रहसी अर वो कुडुम्बा भलो करसी।
इण तरु माँ करणी जी री कांधल जी परियां घणी किरपा ही ऐडा घणा ई किस्सा इतिहास री किताबां मांय अर माँ करणी जी री गाथावां अर लोक मांय भरिया पड्या ह जिका ऐडा मोका बात चालै जणा लोग घणे चाव सूं सुणे अर सुनावै। जय माँ करणी जी ।जय रावत कांधल जी।
प्रस्तुति :- अजयसिंह कांधल ठिकाणा सिकरोडी